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UP Election 2022: Muzaffarnagar दंगे से बदली देश की राजनीति, इस बार क्या है West UP का माहौल?

2013 के अगस्त से सितंबर तक हुए मुजफ्फरनगर दंगों ने देश की राजनीति को बदल के रख दिया. इन दंगों के बाद से बीजेपी यूपी समेत देश भर में मज़बूत होती चली गई. वहीं, लोकसभा और विधानसभा सीटों के लिहाज़ से सबसे बड़े राज्य यूपी में समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी जैसी क्षेत्रिय पार्टियां हाशिए पर खड़ी हो गईं. इसके पीछे की वजह ये बताई जाती है कि पहले यूपी में जाति आधारित राजनीति होती थी. इस वजह से राज्य में सपा और बसपा मज़बूत स्थिति में थे. लेकिन 2013 के दंगों ने सपा को कमज़ोर और बसपा को लगभग साफ कर दिया. इसका कारण ये था कि राज्य में राजनीति ने धर्म का रास्ता पकड़ लिया और वोटिंग हिंदू-मुस्लिम के लाइन पर होने लगी. इसकी बड़ी वजह ये दंगा रहा जिसके कारण हिंदू धर्म के जाटों और मुसलमानों में दरार आ गई. ये दोनों समुदाय पहले मिलकर वोट करते थे जिसकी वजह से वेस्ट यूपी में बसपा और आरएलडी जैसी पार्टियां मज़बूत थीं. इनमें बिखराव के कारण बीजेपी पूरे राज्य में छा गई. हालांकि, किसान आंदोलन के बाद इस स्थिति के बदलने की बात हो रही है. अपने भाषणों से लेकर मीडिया से बातचीत तक में भारतीय किसान यूनियन के राकेश टिकैत हमेशा भाईचारे की बात करते हैं और कहते हैं कि 2013 के पहले की तरह दोनों समुदाय मिलकर वोट करेंगे. वो भाजपा को हराने की भी बात करते हैं. भाईचारे से जुड़े ऐसे ही दावों की पड़ताल के लिए Uncut पहुंचा पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर के कवाल गांव. 2013 का दंगा इसी गांव से शुरू हुआ था. Uncut के Tarun Krishna ने गांव के लोगों से बातचीत करके जाना की Desh Ka Mood क्या है?

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