Lockdown में कैसे भुखमरी के कगार पर पुलिस के गुमनाम नुमाइंदे | ABP Uncut
ABP News Bureau
Updated at:
20 May 2020 11:42 PM (IST)
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महाराष्ट्र में कोरोना पुलिस को तो अपनी गिरफ्त में ले ही रहा है लेकिन साथ-साथ उन लोगों की भी कमर तोड़ रहा है जो कि पुलिस के लिये काम करते हैं. ये लोग हैं पुलिस के मुखबिर जिन्हें खबरी या फिर जीरो नंबर भी कहा जाता है. किसी अपराध की गुत्थी सुलझाने में ये लोग पुलिस की आंख और कान का काम करते हैं लेकिन लॉकडाउन की वजह से इन्हें काम नहीं मिल रहा और ये लोग भुखमरी के कगार पर आ गए हैं. वे गुमनाम रहकर अपराध से जंग लड़ते हैं. वे अपनी जान जोखिम में डालते हैं. ये पुलिस के ऐसे मोहरे हैं जो पर्दे के पीछे रहकर अपना काम करते हैं. ये लोग हैं खबरी. अपराधियों की धरपकड़ के लिये पुलिस खबरियों की मदद लेती है. बदले में पुलिस की ओर से इन्हें बतौर मेहनताना पैसा मिलता है. इसके लिये हर पुलिस फोर्स में बाकायदा सीक्रेट फंड होता है जो कि खबरियों के बीच बांटा जाता है. कई खबरियों की आजीविका पुलिस से मिले इसी पैसे के आधार पर चलती है. लेकिन लॉकडाउन के बाद से खबरियों की जमात परेशानी में है.