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ये सिग्नेचर नहीं करते तो ज़िंदा होते राजीव गांधी!
इतिहास गवाह है कि आज से ठीक 37 साल पहले राजीव गांधी ने एक हस्ताक्षर करने से इन्कार कर दिया होता तो वो शायद आज भी जिंदा होते. लेकिन बतौर प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने 29 जुलाई के दिन एक समझौता किया, उसपर हस्ताक्षर किए औऱ वो हस्ताक्षर इतना भारी पड़ गया कि चुनाव प्रचार के दौरान श्रीपेरंबदूर पहुंचे राजीव गांधी की बम धमाके में हत्या कर दी गई. इतिहास गवाह है के इस खास एपिसोड में बात श्रीलंका की राजधानी कोलंबो में हुए उसी हस्ताक्षर की, जिसने प्रभाकरण के संगठन लिट्टे को उकसाया और उसने राजीव गांधी की हत्या की पूरी स्क्रिप्ट तैयार कर दी.
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