आप कैसे कह सकते हो कि बुखार में दवाई "डोलो" छोड़कर च्यवनप्राश खाओ? | भ्रामिक विज्ञापन
लोगों को जब भी बुखार होता है तो आम तौर पर डॉक्टर्स "पैरासिटामोल" दवाई खाने के लिए कहते हैं. इस दवाई से बुखार की वजह से शरीर में होने वाले दर्द को क़ाबू में लाया जाता है. लेकिन ये तो बात है एलॉपथी की. आयुर्वेद में च्यवनप्राश की एक ख़ास जगह है और कहते हैं कि अगर अपने शरीर की इम्युनिटी बढ़ानी है तो इसका सेवन करना ज़रूरी है. लेकिन इम्युनिटी बढ़ाने में बहुत वक़्त लगता है - कई दिन, महीने या साल. ऐसे में एक कंपनी, जो अपने च्यवनप्राश के लिए मशहूर है, सोशल मीडिया पर एक फ़ोटो डालती है - जिसमें इन दिनों मीम्स में चर्चित बुखार में खाई जाने वाली दवा "डोलो 650" के बदले च्यवनप्राश खाने के लिए लिखा गया है. इस तरह के भ्रामक विज्ञापन डालना कितना सही है? क्या ये सिर्फ एक मज़ाक था, या व्हाट्सप्प पर चलने वाले कोरोना के उपचार के भ्रामक नुस्खों में एक और इज़ाफ़ा होने वाला है? इस वीडियो में बता रहे हैं अभिषेक मनचंदा (Abhishek Manchanda).