Kathputli : वो कला जो अब बस इतिहास के पन्नों में सिमट कर रह जाएगी
कठपुतली ( #Kathputli ) का इतिहास ( #History ) काफी पुराना है. ईसा पूर्व चौथी शताब्दी ( #4thCenturyBC ) में पाणिनी की अष्टाध्यायी में 'नटसूत्र' में 'पुतला नाटक' का उल्लेख मिलता है. कुछ लोग कठपुतली के जन्म को पौराणिक कहानी ( #MythologicalStory ) से भी जोड़ते है. जिस कहानी में बताया गया कि शिवजी ने काठ की मूर्ति ( #WoodenSculpture ) में प्रवेश कर पार्वती का मन बहलाकर इस कला ( #Art ) की शुरुआत की थी. कहानी ‘सिंहासन बत्तीसी’ में भी विक्रमादित्य के सिंहासन की 'बत्तीस पुतलियों' का उल्लेख है. तो कठपुतलियों की शुरुआत जहां से भी हुई हो लेकिन ये कला सालों पुरानी है. बदलते समय के साथ इस कला में भी काफी बदलाव आया. लेकिन आधुनिकीकरण ( #Modernization ) के इस युग में जहां इस कला को और विकसित होना चाहिए, यह पिछड़ता जा रहा है. जो लोग इस कला से अभी भी जुड़े हुए हैं उनके मौजूदा हालात ही सब बयान करता है.कठपुतलियों के बदलते दौर की कहानियां जानने के लिए साथ ही वो लोग जो इस कला से अभी भी जुड़े हुए हैं उनके हालत को समझने के लिए देखिए #Uncut की #SwarnaJha की ये रिपोर्ट.