Modi 2.0 : क्यों आया CAA और क्यों CAA को लेकर हुआ इतना विवाद ? | ABP Uncut
एबीपी न्यूज़
Updated at:
29 May 2020 11:42 PM (IST)
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मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में नागरिकता संशोधन कानून को मंजूरी दी गई. ये एक ऐसा फैसला था, जिसके खिलाफ पूरे देश में हिंसक प्रदर्शन हुए. कई लोग मारे गए और सैकड़ों लोग घायल हो गए. लेकिन सरकार अपने फैसले पर अड़ी रही. इस फैसले के तहत पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश में रह रहे अल्पसंख्यक यानि कि हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई के लिए नागरिकता के नए प्रावधान तय किए गए. 10 जनवरी, 2020 को इस कानून के लागू हो जाने से तीन देशों के इन छह अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों को नागरिकता हासिल करना आसान हो गया. नागरिकता के नए प्रावधानों में मुस्लिम का जिक्र नहीं था, जिसका व्यापक पैमाने पर विरोध हुआ. इस विरोध की असली वजह ये थी कि इस कानून से कुछ महीने पहले ही असम की एनआरसी की अंतिम लिस्ट आई थी. इसमें करीब 19 लाख लोगों का नाम शामिल नहीं था, जिनमें अधिकांश लोग बहुसंख्यक थे. इसके बाद असम बीजेपी ने इस एनआरसी की लिस्ट को खारिज कर दिया था. बाद में गृहमंत्री अमित शाह ने पहले लोकसभा में और फिर झारखंड में चुनाव प्रचार के दौरान कहा था कि पूरे देश में एनआरसी होगा. विपक्ष ने आरोप लगाया कि सीएए लाया ही इसलिए गया है कि असम में एनआरसी के जरिए जिन बहुसंख्यकों का नाम लिस्ट से बाहर है, उन्हें वाया सीएए नागरिकता दे दी जाए. इसका खूब विरोध हुआ. फिर मोदी सरकार की ओर से साफ किया गया कि अभी एनआरसी का कोई प्रावधान नहीं है. और तभी कोरोना आ गया और विरोध प्रदर्शन खत्म हो गए.