BSP की बहनजी से दलितों की महा 'माया' तक! | Uncut
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View In Appमायावती ने विधानसभा चुनाव नहीं लड़ने का फैसला लिया है. हालांकि उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी चुनाव में पूरे देमखम के साथ मैदान में उतरेगी और उन्होंने दावा किया कि राज्य में बीएसपी की सरकार बनने जा रही है. दो करोड़ दलित ईसाईयों और 10 करोड़ दलित मुसलमानों को भी जोड़ लें, तो भारत में दलितों की कुल आबादी करीब 32 करोड़ बैठती है. मायावती एक अलग तरह की नेता हैं. उन्होंने अपनी लगभग डेढ़ दशक की राजनीति में विधायक या विधान परिषद सदस्य की हैसियत से कभी भी विधानभवन में अपनी मौजूदगी दर्ज नहीं कराई है और न ही विपक्ष की नेता की हैसियत से सदन के अंदर कोई मुद्दा उठाया है. पहली बार 3 जून, 1995 को मुख्यमंत्री बनने के बाद से उन्होंने सिर्फ मुख्यमंत्री की हैसियत से ही सदन में प्रवेश किया है. इस साल होने वाले चुनावों में बीएसपी-एसपी साथ आते नहीं दिख रहे हैं. दोनों पार्टियां बीजेपी और एक दूसरे के खिलाफ सत्ता हासिल करने में जुटे हैं. बता दें, समाजवादी पार्टी ने चुनावों में राष्ट्रीय लोकदल (Rashtriya Lok Dal) के साथ गठबंधन किया है और बीते दिन पार्टी मुखिया अखिलेश ने मैनपुरी के करहल सीट से चुनाव लड़ने का ऐलान किया है. क्या इस बार भी मायावती की बहुजन समाज पार्टी बन सकती है गेम चेंजर? देखिये ये स्पेशल वीडियो.