ATM Card Insurance: भारत में जितने भी बैंक है. सभी ग्राहकों को एटीएम कार्ड जारी करते हैं. पहले जब एटीएम कार्ड नहीं हुआ करते थे. तब पैसे निकालने के लिए लोगों को बैंक में जाना पड़ता था. लेकिन अब एटीएम कार्ड के इस्तेमाल से बड़ी ही आसानी के साथ कहीं से भी पैसे निकाले जा सकते हैं. एटीएम कार्ड का इस्तेमाल ऑनलाइन  ट्रांजैक्शन के लिए भी खूब किया जाता है.


बहुत से बैंक अलग-अलग तरह के एटीएम कार्ड जारी करते हैं.  लेकिन क्या आपको पता है एटीएम कार्ड पर इंश्योरेंस भी दिया जाता है. जी हां आपको बता दें कुछ एटीएम ऐसे होते हैं जिन पर 10 लाख रुपए तक का इंश्योरेंस कवर होता है. चलिए जानते हैं किस हिसाब से तय होता है एटीएम कार्ड इंश्योरेंस कवर और कैसे किया जा सकता है क्लेम. 


एटीएम कार्ड पर मिलता है 10 लाख का इंश्योरेंस 


भारत में एटीएम कार्ड इंश्योरेंस दिया जाता है. जैसे ही किसी ग्राहक को एटीएम कार्ड जारी किया जाता है. वैसे ही वह इंश्योरेंस का पात्र हो जाता है. लेकिन यह इंश्योरेंस की राशि अलग-अलग कार्ड पर अलग-अलग प्रकार की होती है. अगर किसी के पास एसबीआई गोल्ड मास्टरकार्ड या वीजा कार्ड है तो उसे 4 लाख डेथ ऑन एयर तो 2 लाख नाॅन एयर का इंश्योरेंस कवर मिलता है. 


तो इसके साथ ही प्रीमियम कार्ड होल्डर को 10 लाख का डेथ ऑन एयर तो वहीं 5 लाख नाॅन एयर कवर मिलता है. नॉर्मल मास्टरकार्ड पर 50 हजार रुपये. तो प्लैटिनम मास्टर कार्ड पर 5 लाख रुपये. वहीं वीजा कार्ड पर 2 लाख तक का इंश्योरेंस कवर दिया जाता है. इसके साथ ही प्रधानमंत्री जनधन योजना के तहत खोले गए अकाउंट के रूपे कार्ड होल्डरों को 1-2 लाख का कवर मिलता है. 


कैसे कर सकते हैं इंश्योरेंस क्लेम? 


एटीएम कार्ड इंश्योरेंस क्लेम को लेकर कुछ नियम बनाए गए है. कोई भी इंश्योरेंस का क्लेम तभी कर सकता है. जब दुर्घटना की तारीख से पहले 90 दिनों के भीतर एटीएम कार्ड से किसी भी प्रकार का ट्रांजेक्शन किया गया हो. चाहे एटीम से पैसे निकाले गए हो या फिर ऑनलाइन खरीददारी की गई हो. अगर कार्ड का 90 दिनों तक इस्तेमाल नहीं होगा तो क्लेम नहीं मिलेगा. अगर एक्सीडेंट हुआ है तो क्लेम करने के लिए हास्पीटल के खर्चे का बिल, वैलिड सर्टिफिकेट और पुलिस एफआईफार की जरूरत होगी.


वहीं अगर हादसे में एटीएम कार्ड होल्डर की मृत्यु हो गई हो तो फिर नाॅमिनी को डेथ सर्टिफिकेट जमा करना होगा. क्लेम ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों ही तरीकों से किया जा सकता है. ऑफलाइन के लिए बैंक जाकर फाॅर्म हासिल करना होता है. फिर उसे भरकर और सम्बंधित दस्तावेजों के साथ कर देना होता है. 


60 दिनों के भीतर क्लेम जरूरी


इंश्योरेंस का फार्म दस्तावेजों के साथ सबमिट करने के बाद बीमा कंपनी एक ऑफिसर नियुक्त करती है. जो जांच करता है. वेरिफिकेशन होने के बाद फाइनल रिपोर्ट तैयार हो जाती है. इसके बाद 10 दिनों के अंतराल पर क्लेम का अमाउंट खाते में भेज दिया जाता है. बता दें कि दुर्घटना होने के 60 दिनों के अंदर क्लेम करना सही होता है. वरना फिर क्लेम को खारिज कर दिया जा सकता है. 


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