Indian Railway News: छत्तीसगढ़ में रायपुर दुर्ग के बीच ऑटोमेटिक सिग्नल प्रणाली की व्यवस्था नहीं है. ऐसे में अभी यहां अब्सोल्यूट सिग्लन प्रणाली लागू है. जिसके अनुसार एक ट्रेन जब दस किमी दूर पहुंचती है. तभी दूसरी ट्रेन को उस ट्रेक पर रवाना किया जाता है. कई बार सिग्नल ना मिलने अथवा अन्य विभिन्न कारणों से ट्रेनों को रेलवे स्टेशन अथवा आउटर पर रोक दिया जाता है. घंटों तक इंतजार करते करते यात्री परेशान हो जाते हैं. इसी कारण ट्रेनें देरी से अपने गंतव्य तक पहुंचती है. इस समस्या को खत्म करने के लिए भारतीय रेलवे ने ऑटोमेटिक सिग्नल प्रणाली स्थापित करने का फैसला लिया है.
ऐसे काम करता है ऑटोमेटिक सिग्नल
ऑटोमेटिक सिग्नल व्यवस्था आगे चलने वाली ट्रेन की वास्तविक स्थिति उपलब्ध कराती है. ऐसे में पीछे चलने वाली ट्रेन आगे वाली ट्रेन के अनुसार स्पीड मेंटेन करती रहती है. इस व्यवस्था से ट्रेनों को इधर उधर रोकने की जरूरत नहीं पड़ेगी. यात्रियों के समय की बचत तो होती है. वहीं ट्रेनों का संचालन 25 फीसदी तक बेहतर हो जाता है. इसके तहत हर एक किलोमीटर पर सिग्नल लगाए जाते हैं. इन्हीं सिग्नलों के आधार पर ट्रेन एक के पीछे एक चलती रहती हैं. सिग्नल में कोई खराबी आती है तो इसकी सूचना भी ट्रेनों को मिल जाती है.
कब तक लगेगा ऑटोमेटिक सिग्नल
रायपुर रेल मंडल ने ऑटोमेटिक सिग्नल स्थापित करने का निर्णय लिया है. यह सिग्नल तीन चरणों में लगाए जाएंगे. पहले चरण में रायपुर से दुर्ग के बीच काम शुरू होगा. जिसे 2023 तक पूरा किया जाएगा. दूसरे चरण में रायपुर से हथबंध तक और इसके बाद तीसरे चरण में हथबंध से बिल्हा तक सिग्नल लगाए जाएंगे.
यह हैं तीनों रूट
रायपुर से दुर्ग की दूरी तकरीबन 40 किलोमीटर है. रायपुर से हथबंध तकरीबन 65 किलोमीटर दूर है. वहीं हथबंध से बिल्हा की दूरी 60 किलोमीटर है. इन तीनों रूटों पर अभी तक ऑटोमेटिक सिग्नल की व्यवस्था मौजूद नहीं है. इन तीनों रूटों पर हर एक किलोमीटर पर सिग्नल लगाने में भले ही समय लगे. लेकिन सिग्नल स्थापित होने के बाद इसका लाभ यात्रियों को मिलेगा. ट्रेनों की लेटलतीफी खत्म होगी और उनका संचालन सकुशल तरीके से संभव हो सकेगा.
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