Ayushman Yojana Hospitals Rules: भारत के सभी लोगों के पास महंगे इलाज करवाने के पैसे नहीं होते. तो वहीं कुछ लोगों के पास तो सामान्य इलाज करने तक के लिए पैसे नहीं होते. इस तरह के गरीब जरूर लोगों को भारत सरकार सहायता देती है भारत सरकार ने ऐसे लोगों के लिए 2018 में प्रधानमंत्री आयुष्मान भारत योजना शुरू की थी. इस योजना के तहत 5 लाख रुपये तक का फ्री इलाज दिया जाता है.
लेकिन हाल ही में जब एक आयुष्मान कार्ड धारक महिला बरेली के अस्पताल में इलाज के लिए गई. तो अस्पताल के डॉक्टर ने उसका इलाज करने से मना कर दिया. और उसे अस्पताल से बाहर निकाल दिया. और इसके बाद उसे महिला की मौत हो गई. अगर कोई अस्पताल आयुष्मान योजना के तहत इलाज करवाने वाले किसी आयुष्मान कार्ड धारक को इलाज के लिए मना करता है. तो ऐसे में कितनी सजा मिल सकती है चलिए आपको बताते हैं.
अस्पताल का लाइसेंस किया जा सकता है रद्द
उत्तर प्रदेश के बरेली में आयुष्मान भारत योजना के तहत इलाज करवाने आई महिला मरीज को अस्पताल के डॉक्टर ने इलाज से मना कर दिया और अस्पताल से बाहर निकाल दिया. जिसके बाद महिला की मौत हो गई. अब इस मामले पर उत्तर प्रदेश के डिप्टी सीएम बृजेश पाठक ने संज्ञान लेते हुए उस अस्पताल को आयुष्मान योजना पैनल से हटा दिया है. उसकी मान्यता रद्द कर दी है.
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अस्पताल के डॉक्टर को मरीज के साथ अभद्र व्यवहार करने का भी दोषी पाया गया है. तो इसके साथ ही अब परिवार वाले उसे डॉक्टर के खिलाफ एफआईआर लिखवाने की भी तैयारी में है. बता दें इस तरह के केस में अस्पताल को सिर्फ आयुष्मान योजना पैनल से ही नहीं हटाया जाता. बल्कि अगर ऐसे मामले और देखने को मिलते हैं तो अस्पताल का लाइसेंस रद्द किया जा सकता है.
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भारी जुर्माना भी लगाया जा सकता है
इतना ही नहीं अगर कोई अस्पताल इस तरह की हरकत करता है. तो सरकार उसे पर जुर्माना भी लगा सकती है और अस्पताल के खिलाफ कानूनी कार्रवाई भी कर सकती है. भारत सरकार के आयुष्मान योजना के तहत सूचीबद्ध सभी प्राइवेट और सरकारी अस्पतालों में कोई भी आयुष्मान कार्ड धारक फ्री इलाज करवा सकता है. और सभी अस्पताल इसके लिए बाध्य होते हैं. किसी आयुष्मान कार्ड धारक को इलाज के लिए मना करना नियमों का उलंघन हैं. सरकार अनुशासनात्मक कार्रवाई करते हुए ऐसे अस्पतालों को सीज भी कर सकती है.
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