आयुष्मान भारत योजना के तहत भारत सरकार नागरिकों को मुफ्त इलाज की सुविधा देती है. लोग प्राइवेट अस्पताल में जाकर हर साल पांच लाख रुपये तक के मुफ्त इलाज का लाभ उठा सकते हैं. अगर आपको पता करना है कि आपके आयुष्मान कार्ड की कितनी लिमिट है तो आपको योजना में आने वाले अस्पताल जाना होगा. अस्पताल में आपको आयुष्मान हेल्प डेस्क पर जाना होगा. वहां मौजूद अधिकारी को अपना कार्ड दिखाकर आप अपने कार्ड की लिमिट के बारे में पता कर सकते हैं. ये तो हुई बात मुफ्त इलाज की, लेकिन क्या आपको पता है कि आयुष्मान लाभार्थियों को अस्पताल के कौन से वार्ड या कमरे में भर्ती किया जाता है?
किस वार्ड में किया जाता है भर्ती
आयुष्मान योजना के तहत सरकार 5 लाख रुपये तक का हेल्थ इंश्योरेंस कवर करती है और 250 से ज्यादा बीमारियों का इलाज इस स्कीम के तहत किया जाता है. जिसमें कैंसर और दिल से जुड़ी बीमारियां भी शामिल हैं. इस योजना के तहत अगर आप अस्पताल में भर्ती होते हैं तो आपको वही सुविधाएं दी जाएंगी जो गैर आयुष्मान धारकों को दी जाती हैं. आप किस वार्ड में भर्ती होंगे ये आपकी बीमारी पर निर्भर करता है. अगर आप दिल की बीमारी से पीड़ित हैं तो आपको उसी के कॉमन वार्ड में भर्ती किया जाएगा. हालांकि आयुष्मान कार्ड धारकों के लिए पर्ची बनवाने का काउंटर अलग से होता है. आमतौर पर ऐसे मरीजों को जनरल वार्ड में ही भर्ती किया जाता है.
गर्भवती और प्रसव वाली महिलाओं के लिए सुविधा
यूपी के फिरोजाबाद और गाजियाबाद सहित कई शहरों में प्रसव वाली महिलाओं के लिए आयुष्मान वार्ड बनाए गए हैं. जिनमें इन महिलाओं को प्राइवेट वार्ड जैसी सुविधाएं भी दी जाती हैं. फिरोजाबाद के सौ शैय्या जिला अस्पताल में प्रसव वाली महिलाओं को प्राइवेट रूम भी उपलब्ध करवाए जा रहे हैं. इस योजना के तहत कई अस्पतालों में प्राइवेट रूम बनाए गए हैं जिनमें अटैच लेट बाथ के साथ और भी कई सारी सुविधाएं मिलती हैं. इतना ही नहीं, इन महिलाओं के देखरेख के लिए आयुष्मान मित्र भी तैनात किए गए हैं. इसके अलावा मेडिकल नर्स भी 24 घंटे प्रसव वाली महिलाओं की सेवा में लगी रहती है.
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इससे पहले कॉमन वार्ड में किया जाता था एडमिट
यूपी समेत देश के कई अस्पतालों में पहले आयुष्मान कार्ड धारकों को कॉमन मरीजों के साथ भर्ती किया जाता था, लेकिन अब आयुष्मान कार्ड वाली गर्भवती महिलाओं को एक साथ एक ही वार्ड में भर्ती नहीं किया जाता. हालांकि आयुष्मान कार्ड वाले दूसरे मरीजों के लिए भी अलग-अलग अस्पताल में अलग-अलग सुविधाएं हैं.
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