आपके ट्रांजेक्शन से बैंकों को होती है कमाई, देखते-देखते अकाउंट से कट जाता है पैसा
Bank Income Process: जब एक नागरिक बैंक में अकाउंट ओपेन कराने के लिए जाता है तब उससे वहां पर बैठा एग्जीक्यूटिव बोलता है कि सर सब फ्री है. आप खाता खुलवा लीजिए. फिर बैंक पैसा कैसे कमाते हैं? जान लीजिए.

Bank Income Process: बैंक प्रॉफिट बेस्ड बिजनेस मॉडल पर काम करते हैं. किसी भी अन्य व्यवसाय की तरह उनके पास कमाई और खर्च के अपने तरीके हैं. यह लोन लेने और लोन देने पर अधिक फोकस रखते हैं. आपने नोटिस किया होगा कि आपको आए दिन बैंक से पर्सनल लोन, बिजनेस लोन, होम लोन, बाइक लोन, कार लोन जैसे न् जाने कितने तरह के लोन के लिए कॉल आता रहता है. कई बार आपके बिना जानकारी से पैसे कट जाते हैं. कस्टमर केयर में कॉल करने पर पता चलता है कि यह किसी चीज का चार्ज है. आइए इसका खेल समझते हैं.
आप जब बैंक में अपने सेविंग अकाउंट में पैसा जमा करते हैं तो FD करने पर 8-9 प्रतिशत का ब्याज दर और नॉर्मल अकाउंट में 4-5% इंटरेस्ट रेट पर ब्याद मिलता है. जबकि आप बैंक से लोन लेते हैं तो यही ब्याज दर इसके तुलना में अधिक होता है. आप पर्सनल लोन पर 15% के आसपास ब्याज देते हैं. दूसरी ओर बैंक होम लोन, पर्सनल लोन, कार लोन और अन्य पर ब्याज लगाकर भी कमाई करते हैं.
शुल्क के नाम पर कमाई
इंटरचेंज शुल्क बैंकों की आय का एक अन्य प्रमुख तरीका है. यह वह शुल्क है जो वित्तीय संस्थान डेबिट कार्ड या क्रेडिट कार्ड से लेनदेन करने पर लगाते हैं. जब भी कोई ग्राहक खरीदारी करता है और अपने कार्ड स्वाइप करता है, तो व्यापारी पर एक विशिष्ट शुल्क लगाया जाता है. इंटरचेंज शुल्क का अधिकांश हिस्सा ग्राहक के बैंक को जाता है. बाकी रकम व्यापारी के बैंक की ओर जाती है.
एटीएम शुल्क
ग्राहकों को जारीकर्ता वित्तीय संस्थान के अलावा अन्य बैंकों के एटीएम से प्रति माह एक निश्चित संख्या में एटीएम लेनदेन करने की अनुमति है. उस सीमा से अधिक एटीएम लेनदेन करने पर ग्राहकों को एक निश्चित शुल्क देना पड़ता है. इसके अलावा कुछ बैंक घरेलू एटीएम से निर्धारित सीमा से अधिक लेनदेन करने पर एक अन्य प्रकार का शुल्क लेते हैं, जिसमें मिनिमम बैलेंस शुल्क और लेट रीपेमेंट शुल्क शामिल है.
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