Home Load Debt Reducing Tips: अपना घर होना सबका एक सपना होता है. लेकिन यह सपना पूरा कर पाना इतना आसान नहीं होता. इसके लिए खूब मेहनत करनी होती है खूब पैसे जोड़ने पड़ते हैं. तब जाकर एक इंसान कहीं एक घर ले पता है. कई बार लोगों के पास इतनी जमापूंजी इकट्ठी नहीं हो पाती कि वह घर ले सकें. लेकिन ऐसे लोग भी अपने घर लेने का सपना पूरा कर सकते हैं होम लोन के सहारे.अब भारत में ज्यादातर लोग होम लोन लेकर ही घर ले रहे हैं. लेकिन होम लोन लेने का फैसला आसान नहीं होता.


आप जिंदगी भर के लिए एक आर्थिक जिम्मेदारी अपने सिर लेते हैं. अगर आप सही से होम लोन को मैनेज नहीं करते, तो आपका सपना पूरा होने के बजाय आपकी आर्थिक स्थिति बिगड़ सकती है. मई 2022 से लेकर फरवरी 2023 तक रिजर्व बैंक आफ इंडिया ने रेपो रेट पर 250 बेसिस प्वाइंट्स बढ़ाए. जिससे रेपो रेट 4% से बढ़कर 6.50 % तक पहुंच गई. हालांकि फरवरी 2023 से रेपो रेट कायम है. इसमें कोई बढ़ोतरी देखने को नहीं मिली है. लेकिन इससे होम की ब्याज दर काफी प्रभावित हुई है. अगर आप अपने होम लोन के बोझ को कम करना चाहते हैं. तो रेपो रेट के अलावा इन चार बातों का रखें खास ध्यान.  


रेपो रेट क्या होती है? 


एक आम आदमी जब घर खरीदना है. तो उसे रेपो रेट के बारे में शायद उतना मालूम नहीं होता. तो बता दें कि रेपो रेट वह रेट होती है. जिस रेट पर रिजर्व बैंक ऑफ़ इंडिया दूसरे कमर्शियल बैंक को फंड देता है. और इसी रेपो रेट के आधार पर बैंक ग्राहकों को लोन देते हैं. सीधे शब्दों में बात की जाए. तो अगर रेपो रेट ज्यादा होगी. तो कमर्शियल बैंक को रिजर्व बैंक आफ इंडिया से फंड लेना महंगा हो जाएगा. जिसके चलते बैंक अपने ग्राहकों से ज्यादा इंटरेस्ट लेंगे. तो आपको लोन महंगा मिलेगा. और रेपो रेट कम होगी तो बैंकों को कम दर पर फंड मिलेगा. तो ऐसे में आपको भी लोन सस्ता मिल जाएगा. 


बेंचमार्क चेक करें


भारत में तकरीबन 90% जो होम लोन होते हैं वह सभी फ्लोटिंग रेट के आधारित होते हैं. जो एक बेंचमार्क रेट से जुड़े हैं जो फाइनल रेट होती है. अक्टूबर 2019 से रेपो रेट होम लोन के लिए बेंचमार्क है. जो कि फिलहाल 6.50 प्रतिशत है.  लेकिन जो होम लोन अप्रैल 2016 से अक्टूबर 2019 तक सेंशन किए गए हैं. वह मार्जिनल कॉस्ट आफ फंड बेस्ड लैंडिंग (एमसीएलआर) यानी मिनिमम इंटरेस्ट रेट के बेंचमार्क से दिए गए. वह जो पुराना बेंचमार्क था, वह मुद्रास्फीति हाई थी तब भी ही स्थिर ही रहता था. और आरबीआई जो कटौती करती है वह उस पर लागू नहीं होती. 


मार्जिनल कॉस्ट आफ फंड बेस्ड लैंडिंग यानी पर सेट होम लोन सामान्य तौर पर 6 महीने से लेकर 1 साल तक में रीसेट होते हैं. अलग-अलग बैंकों में इसकी अवधि अलग-अलग होती है. यानी अगर आपके बैंक की अवधि 3 महीने बाद रिसेट होती है. तो आपकी इंटरेस्ट रेट 3 महीने बाद कम होगी. यानी आपको तब तक ज्यादा ब्याज देना होगा, जब तक कि आपका होम लोन की रेट रीसेट ना हो जाए. लेकिन जो रेपो रेट लिंक्ड लोन होते हैं. उनमें आरबीआई की घोषणा के तुरंत बाद से ही बदलाव हो जाता है. इससे आपको फायदा होता है आपकी ईएमआई कम हो जाती है और आपको ब्याज कम देना पड़ता है. 


कम स्प्रेड पर स्विच करें


बैंक बाजार की कम्युनिकेशंस मैनेजर मालविका सिंघल ने बताया कि रेपो रेट से लिंक लोन पर स्प्रेड एक महत्वपूर्ण फैक्टर होता है. और खासतौर पर होम लोन के लिए. स्प्रेड आपके क्रेडिट स्कोर, आपकी इनकम के सोर्स और आप कितना लोन ले रहे हैं उसके अमाउंट पर निर्धारित होता है. स्प्रेड आपके लोन टेन्योर के दौरान स्टेबल रहता है. बता दें होम लोन स्प्रेड वह एडीशनल कॉस्ट होती है जो आप बैंक से लोन लेते वक्त आरबीआई के रेपो रेट से अलावा चुकाते हैं. साल 2024 में होम लोन स्प्रेड में काफी कमी देखने को मिली है.


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जबकि 2020 की शुरुआत में यह रेपो रेट से 275 से 360 बेसिस पॉइंट्स ज्यादा था. फिलहाल होम लोन पर जो सबसे कम इंटरेस्ट रेट है. वह 8.20% से लेकर 8.50 के बीच है. जिस वजह स्प्रेड 170 से 200 बेसिस प्वाइंट तक कम हो चुका है. अगर आप नया लोन लेना चाहते हैं. तो भविष्य में इंटरेस्ट रेट में कमी का फायदा लेने के लिए कम स्प्रेड का टारगेट रखें. अगर आप पहले से ही कोई लोन ले रखा है. तो फिर कम स्प्रेड का फायदा लेने के लिए उसे दोबारा से फाइनेंस करवा सकते हैं.  


रिफाइनेंस करवाएं लोन 


अगर आप ज्यादा  इंटरेस्ट रेट पर लोन चुका रहे हैं. तो उसे आप कम इंटरेस्ट रेट पर स्विच कर सकते हैं. अगर आप कम इंटरेस्ट रेट के लिए अपने वर्तमान बैंक या लोन देने वाली कंपनी से बात करते हैं. तो उसमें आपको एक छोटी सी प्रोसेसिंग फीस चुकानी होगी और कुछ पेपर वर्क होगा. लेकिन वहीं आप दूसरे बैंक या नॉन बैंकिंग फाइनेंशियल कंपनियों के ऑप्शन ढूंढते हैं. तो वहां आपको शुरू से प्रक्रिया शुरू करनी होगी जहां आपको प्रोसेसिंग फीस, लीगल फीस और अन्य चार्ज भी चुकाने होंगे. रिफाइनेंस करवाने से पहले सारा हिसाब किताब कर लें. आपका ब्याज खर्च कम होगा और आपको बेनिफिट होगा या नहीं. 


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प्री पे में साबित हो सकता है बेहतर ऑप्शन 


अगर आप अपने होम लोन का बोझ कम करना चाहते हैं. तो आपके लिए प्री पेमेंट करना एक बेहतर विकल्प साबित हो सकता है. अगर आप के पास फाइनेंशियल स्टेबिलिटी है. तो आप अपने पूरे लोन के बकाया का पांच प्रतिशत सालाना प्री पेमेंट कर सकते हैं. अगर आपको कोई एक्स्ट्रा बोनस मिलता है या आपकी इनकम का सोर्स बढ़ जाता है. तो आप साल भर में एक एक्स्ट्रा ईएमआई भी भर सकते हैं. जिससे आपका लोन का टेन्योर काम हो जाएगा. लेकिन अगर आपके होम लोन पर ब्याज ज्यादा है. 


तो फिर आप अपनी सिचुएशन को इवेलुएट कर सकते हैं. अगर आपको लग रहा है आप पूरा लोन चुका सकते हैं तो पूरा लोन चुकाने का ट्राई करें. क्योंकि पिछले कुछ सालों में ब्याज दरें काफी बढ़ीं हैं. जिस वजह से लोगों को काफी दिक्कत का सामना करना पड़ा है. लोग ईएमआई के बोझ को कम करने के लिए तरह-तरह के तरीके अपनाते हैं. अगर आप अपने होम लोन की बोझ को कम करना चाहते हैं. तो बताए गए तरीकों को फॉलो जरूर कर सकते हैं.  


क्या है बैंक बाजार?


बता दें कि बैंक बाजार एक व्यक्तिगत फाइनेंस मैनेजमेंट ऐप है, जो आपके मंथली खर्चों को खुद-ब-खुद ट्रैक करता है. ट्रैकिंग का यह तरीका एकदम सेफ होता है. इसके अलावा अगर आप कोई गलत लेन-देन करते हैं या किसी पेमेंट पर आपको जुर्माना देना पड़ता है तो यह ऐप यूजर को जानकारी भी देता है.


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