Riots Or Violence Arrest Laws: उत्तर प्रदेश के संभल जिले में है हिंसा की घटना सामने आई है. जहां भीड़ ने पुलिस पर न सिर्फ पथराव किए पुलिस के वाहनों को भी जलाया. इतना ही नहीं इस हिंसा की घटना में चार लोगों की मौत भी हो चुकी है. पुलिस अब इस हिंसा की घटना में शामिल लोगों की पहचान कर रही है.
इस तरह की घटनाओं में पुलिस को ज्यादा पावर दे दी जाती है. कई लोगों के मन में यह सवाल भी आता है कि क्या दंगों और हिंसा की घटनाओं में पुलिस किसी को भी बिना वारंट के उसके घर से उठा सकती है. इसे लेकर क्या हैं नियम चलिए आपको बताते हैं.
पुलिस कर सकती है बिना वारंटी के गिरफ्तार
भारतीय संविधान के तहत पुलिस के पास कुछ विशेष अधिकार होते हैं. जिन परिस्थितियों में पुलिस बिना वारंट के भी किसी को गिरफ्तार कर सकती है. भारतीय कानून के तहत पुलिस अधिकारी बिना मजिस्ट्रेट के आदेश के और बिना वारंट के किसी व्यक्ति को तभी गिरफ्तार कर सकता है जब उसका अपराध संज्ञेय अपराध की श्रेणी में आता है.
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संज्ञेय अपराधों में पुलिस को बिना वारंट के ही किसी व्यक्ति को उसके घर से उठा सकती है. हिसां और दंगे संज्ञेय अपराधों की श्रेणी में आते हैं. ऐसे में पुलिस किसी दंगाई को और हिंसा के अपराध में शामिल संदिग्ध को बिना वांरट के कर सकती है गिरफ्तार.
पुलिस को यह नियम करने होते हैं फॉलो
भारत के कानून में पुलिस को संज्ञेय अपराधों के लिए किसी को गिरफ्तार करने के लिए वारंट की जरूरत नहीं होती. भारतीय दंड संहिता के मुताबिक बलात्कार, हत्या, चोरी, दंगा, जैसे अपराध संज्ञेय अपराधों की श्रेणी में आते हैं. हालांकि पुलिस इन मामलों में किसी व्यक्ति को गिरफ्तार करने से पहले एफआईआर दर्ज करती है. इसके लिए पुलिस को पहले कुछ जांच करनी जरूरी होती है. मामले की गंभीरता और सच्चाई पता लगाना भी पुलिस का पहला काम होता है. ऐसे केस में गिरफ्तारी के 24 घंटे के अंदर ही पुलिस को गिरफ्तार व्यक्ति को अदालत में भी पेश करना पड़ता है.
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