क्या बदल सकते हैं मौजूदा हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी? स्विच करने के क्या हैं नियम
प्राइवेट अस्पताल के इलाज में कितना खर्च होता है, इसकी जानकारी सबको है. इन खर्च से बचने के लिए ही गैर सरकारी कर्मचारी हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी लेते हैं. जानिए क्या आप दूसरे कंपनी में स्विच कर सकते हैं?

आज के वक्त प्राइवेट अस्पताल में इलाज कराने के लिए बड़ी रकम देनी होती है. यही कारण है कि अधिकांश गैर सरकारी कर्मचारी प्राइवेट कंपनियों से हेल्थ इंश्योरेंस की पॉलिसी लेते हैं. लेकिन कई बार ऐसा होता है कि कोई नई कंपनी अच्छे ऑफर के साथ हेल्थ इंश्योरेंस स्कीम लेकर आती है. अब सवाल ये है इस स्थिति में यूजर्स कैसे नई पॉलिसी में स्विच कर सकते हैं? आज हम आपको इसके बारे में बताएंगे.
हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी
गैर सरकारी कर्मचारियों के लिए हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी सबसे जरूरी होता है. क्योंकि बिना इंश्योरेंस पॉलिसी के कर्मचारियों को इलाज के लिए अस्पताल में बड़ी रकम देनी पड़ सकती है. लेकिन कई बार ऐसा होता है कि यूजर्स कंपनी के जिस पॉलिसी को लेकर चल रहे होते हैं, दूसरी कंपनी उससे कम रेट में ज्यादा अच्छी सुविधाएं देती है. जिस कारण यूजर्स को पॉलिसी स्विच करने का प्लान बनाना पड़ता है. अब सवाल ये है कि उस स्थिति में कैसे पॉलिसी स्विच किया जा सकता है.
कैसे कर सकते हैं पोर्ट?
अब सवाल ये है कि कोई भी यूजर कैसे इंश्योरेंस पॉलिसी को स्विच कर सकता है. बता दें कि आप मौजूदा हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी को बदलने के लिए इसे पोर्ट कर सकते हैं. पोर्ट करने का मतलब है कि आप अपने कवरेज को किसी दूसरी बीमा कंपनी में ट्रांसफ़र कर सकते हैं. लेकिन इसके लिए रिन्यूअल की तारीख से कम से कम 45 दिन पहले मौजूदा बीमा कंपनी को सूचित करना होता है. वहीं पोर्टेबिलिटी फ़ॉर्म और प्रपोज़ल फ़ॉर्म भरकर नई बीमा कंपनी को सबमिट करना होता है. इसके बाद नई बीमा कंपनी IRDA की वेबसाइट या मौजूदा बीमा कंपनी से प्लान की जानकारी हासिल करेगी. वहीं आवेदन की डिटेल जांच के बाद नई पॉलिसी के तहत लाभ उठाए जा सकते हैं.
पोर्ट करने के लिए क्या लगता है चार्ज
बता दें कि पोर्ट करने के लिए कोई भी चार्ज नहीं लगता है. इसके लिए आपको सिर्फ नई कंपनी को इससे जुड़े सभी फॉर्म जमा करने होते हैं. वहीं मौजूदा पॉलिसी में की गई प्रतीक्षा अवधि नई पॉलिसी में भी लागू होती है. पोर्ट करने के साथ यूजर को नई कंपनी की सभी सुविधाएं मिलनी शुरू हो जाती हैं और पिछले पॉलिसी में प्रतीक्षा अवधि और जीरो क्लेम का भी लाभ मिलता है. इससे यूजर की इंश्योरेंस क्लेम की लिमिट भी कंपनी बढ़ा सकती है. जिसका सीधा फायदा इंश्योरेंस उपभोक्ता को मिलता है.
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