भारत की कुल जनसंख्या 140 करोड़ के ऊपर निकल चुकी है. इनमें से लगभग 80% लोग वोट करने के योग्य हैं लेकिन आंकड़ों के मुताबिक मात्र 70% प्रतिशत के करीब लोग मतदाता सूची में रजिस्टर्ड है. लेकिन भारत में कई लोग ऐसे भी हैं जिनका नाम दो अलग मतदाता सूचियों में शामिल है. इसके लिए अब सरकार ने कड़े कानून तय कर दिए हैं. इससे फर्जी वोटिंग का खतरा रहता है. इसीलिए अगर आपके पास भी हैं दो वोटर कार्ड तो एक को तुरंत निरस्त करवाइए वरना पड़ सकते हैं मुश्किल में. 


कैसे बन जाते हैं दो वोटर कार्ड?


समान्य तोर पर किसी व्यक्ति का एक ही वोटर कार्ड होता है. लेकिन कई मामलों में लोगों के पास दो वोटर कार्ड भी देखे गए हैं. दरअसल होता यूं है कोई व्यक्ति अगर एक जगह रहता है पहले तो वह वहां का वोटर कार्ड बनवा लेता है इसके बाद वह दूसरी जगह स्थांतरित हो जाता है तब वहां का वोटर कार्ड बनवा लेता है. ऐसी स्थिति में उसके दोनों ही वोटर कार्ड वैध होते हैं. लेकिन दो वोटर कार्ड होना यह वैध नहीं है. इसीलिए अगर किसी के पास दो वोटर कार्ड हैं तो उसे उनमें से कोई एक वोटर कार्ड निरस्त करना जरूरी है.


एक साल की जेल 


अगर किसी व्यक्ति के पास दो वोटर कार्ड पाए जाते हैं तो यह निर्वाचन आयोग के क्षेत्र 17 का उल्लंघन है. अगर ऐसे में कोई दो वोटर कार्ड के साथ पाया जाता है तो फिर उसे कानून के तहत 1 साल की सजा का प्रावधान है. दो वोटिंग कार्ड के मामले अब धीमे-धीमे काम होते जा रहे हैं. क्योंकि अब सरकार ने वोटिंग कार्ड के साथ आधार कार्ड को लिंक करना अनिवार्य कर दिया है. ऐसे में अगर किसी के वोटिंग कार्ड के साथ आधार कार्ड लिंक है तो वह जब दूसरा वोटिंग कार्ड बनवाने जाएगा तो पहले से ही उसकी डिटेल्स सामने दिख जाएंगी.


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