Cashless Treatment: हॉस्पिटल में कुछ दिनों तक भर्ती रहने के बाद आपके सामने लाखों रुपये का बिल रख दिया जाता है. यही वजह है कि लोग अपना हेल्थ इंश्योरेंस करवाते हैं, हालांकि कई बार इंश्योरेंस कंपनी का उस अस्पताल के साथ टाइअप नहीं होता है, जहां आपका इलाज चल रहा है. ऐसे में अस्पताल कैशलेस पेमेंट से साफ इनकार कर देता है और पूरा पेमेंट आपको अपनी जेब से करना होता है. लेकिन अब कोई भी हॉस्पिटल ऐसा नहीं कर सकता है, नए नियमों के मुताबिक बीमाधारक उस अस्पताल में भी इलाज करा सकते हैं, जो इंश्योरेंस कंपनी के नेटवर्क में नहीं है.
इंश्योरेंस कंपनी देगी पैसा
दरअसल जनरल इंश्योरेंस काउंसिल ने कैशलेस ऐवरीव्हेयर इनीशिएटिव शुरू किया है, जिसमें अब अस्पताल में इलाज काफी आसान हो जाएगा. कोई भी अस्पताल किसी को अपनी जेब से पेमेंट करने के लिए बाध्य नहीं कर सकता है. यानी जब आप अस्पताल में भर्ती होंगे तो आपको सिर्फ मामूली फीस ही देनी होगी, इसके बाद जब डिस्चार्ज होंगे तो अस्पताल आपकी इंश्योरेंस कंपनी से पैसा लेगा. आपको भारी भरकम बिल अपनी जेब से चुकाने की जरूरत नहीं पड़ेगी.
करना होगा बस ये काम
कैशलेस ट्रीटमेंट के इलेक्टिव प्रोसिजर में आपको इंश्योरेंस कंपनी को 48 घंटे पहले जानकारी देनी होगी, वहीं इमरजेंसी के मामले में एडमिट होने के 48 घंटे के अंदर कंपनी को बताना होगा. अगर आप पहले से जानकारी देते हैं तो हॉस्पिटल आपसे कैश पेमेंट नहीं मांग सकते हैं. अब अगर अगली बार आपके साथ भी कुछ ऐसा ही होता है तो आप हॉस्पिटल में इस कैशलेस ऐवरीव्हेयर नियम के बारे में बता सकते हैं. ऐसा करने से आपको लाखों का बिल खुद से नहीं चुकाना होगा और आपकी इंश्योरेंस कंपनी ये काम करेगी. आप ये जानकारी अपने परिवार और देस्तों के साथ भी शेयर कर सकते हैं, क्योंकि जब हॉस्पिटल का बिल चुकाने की बारी आती है तो हर किसी के पसीन छूट जाते हैं.
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