Change In Caste Certificate: भारत में अगर जातियों की बात की जाए तो कुल संख्या 4000 के करीब. तो वहीं 25000 के करीब उपजातियां हैं. जातियां वर्णों के आधार पर बांटी गई. शास्त्रों में कुल चार वर्ण थे. जो ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र इस हिसाब से. वर्णों के बाद अब भारत में जाति ही इंसान की पहचान मानी जाती है. जातिवाद को लेकर बात की जाए तो भारतीय संविधान के अनुसार जातिवाद खत्म कर दिया जा चुका है.


लेकिन आज भी कई जगहों पर किसी खास विशेष जाति वालों के साथ भेदभाव किया जाता है. जाति के आधार पर उन्हें अन्य लोगों से दूर रखा जाता है कई चीजों से वंचित किया जाता है. ऐसे में कई लोगों के मन में सवाल आता है क्या कोई अपनी जाति बदलवा सकता है. चलिए जानते हैं. कैसे बनवाया जाता है जाति प्रमाण पत्र. और क्या होती है इसकी कानूनी प्रक्रिया. 


कैसे बनवाएं जाति प्रमाण पत्र?


जाति प्रमाण पत्र सरकारी दस्तावेज होता है. जो आपकी जाति को निर्धारित करता है. जिससे आप योजनाओं का लाभ ले सकते हैं, सरकारी नौकरी में छूट पा सकते हैं. इसके साथ ही आप जाति प्रमाण पत्र के आधार पर छात्रवृत्ति हासिल कर सकते हैं. जाति प्रमाण पत्र ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरीकों से बनाया जाता है. 


ऑफलाइन जाति प्रमाण पत्र बनवाने के लिए आपको फॉर्म चाहिए होता है. जो आपको आपके तहसील एसडीएम कार्यालय या कलेक्टर ऑफिस से मिल सकता है. फार्म में मांगी गई सारी जानकारी भरने के बाद और संबधित दस्तावेज संलग्न करने के बाद आप उसे दफ्तर में जमा कर सकते हैं. इसके बाद आप वहीं से अपना जाति प्रमाण पत्र प्राप्त कर सकते हैं. 


अब कई राज्यों में जाति प्रमाण पत्र  बनवाने के लिए ऑनलाइन प्रक्रिया चालू हो गई है. इसके लिए आपको राज्य की ऑनलाइन वेबसाइट पर जाना होता है. वहां जाकर अपनी पूरी जानकारी दर्ज करनी होती है. और इसके साथ ही संबंधित दस्तावेज जमा करने होते हैं.  निर्धारित फीस चुकाने के बाद आप ऑनलाइन ही अपना जाति प्रमाण पत्र डाउनलोड कर सकते हैं. 


क्या कोई बदल सकता है जाति प्रमाण पत्र ?


जाति बदलने को लेकर भारत में किसी  प्रकार का कोई संवैधानिक कानून नहीं है. ना ही ऐसी कोई कानूनी प्रक्रिया है जिससे जाति में बदलाव किया जा सके. यानी अगर  किसी ने एक बार जाति प्रमाण पत्र बनवा लिया. तो उसके बाद वह उस जाति प्रमाण पत्र में जिंदगी भर बदलाव नहीं करवा सकता. 


फिर चाहे वह इसके लिए किसी प्रकार का कोई जस्टिफिकेशन क्यों ही ना दे. भारत के सुप्रीम कोर्ट ने इस बारे में फैसला सुनाते हुए कहा था कि किसी की भी जाती सुनिश्चित करने का आधार उसका जन्म होता है. अक्सर कई बार कोर्ट में इस तरह के केस दाखिल किए गए हैं कि शादी के बाद लोगों ने अपनी जाति चेंज करवाने को आवेदन दिया है.  जो खारिज हो गए हैं. 


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