Death From By Falling In Pit: सड़क पर चलते वक्त अक्सर लोगों को एहतियात बरतनी होती है. नहीं तो हादसा होते देर नहीं लगती. कई बार देखा गया है कि सड़क पर बने गड्ढों की वजह से बहुत से लोगों ने अपनी जान गंवा दी है. खासतौर पर मानसून के मौसम में बरसात में इस तरह के केस देखने की काफी सामने आते हैं. कुछ दिनों पहले ही मुंबई में एक महिला की मैनहोल में गिर जाने से मौत हो गई थी.


बहुत बार देखा गया है कि सड़क पर निर्माण कार्य हो रहा होता है और गड्ढे बना दिए गए होते हैं. उनके लिए अलग से सुरक्षा का इंतजाम नहीं किया गया होता. आम जनता भी उसके आसपास से गुजरती है. जिस वजह से कई बार देखने को मिला है कि लोग उन गड्ढों में गिर जाते हैं. और उनकी मौत तक हो जाती है. ऐसे में गड्ढे में गिरने के बाद मौत की जिम्मेदारी किसकी बनती है. चलिए आपको बताते हैं. 


सरकार की होती है जिम्मेदारी


सड़कों का निर्माण करना उनका रखरखाव करना सरकार के जिम्मेदारी होती है. भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत सभी भारतीय नागरिकों को जीवन और स्वछंदता का अधिकार प्राप्त है. जीवन के अधिकार का मतलब है सम्मान से जीने का अधिकार और इस सरकार इस अधिकार की रक्षा करना लिए  उत्तरदाई होती है. सड़कों की पूरी जिम्मेदारी सरकार की सिविक बॉडी के अंतर्गत आती है.


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ऐसे में अगर सड़क पर गड्ढा होता है तो उसकी जिम्मेदारी भी सड़क सिविक बॉडी की बनती है. अगर किसी की गड्ढे में गिरकर मौत हो जाती है तो फिर इसके लिए भी सिविक बॉडी ही जिम्मेदार होती है. यानी एक तरह से कहा जाए तो सड़क पर बने हुए गड्ढे में गिरकर मौत होती है. तो ऐसे में सरकार जिम्मेदार होती है. 


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दर्ज हो सकता है केस


सड़कों पर गड्ढे होना, सड़क का खुदा होना नाले या मैन हॉल ढका हुआ न होना. इस यह सब सिविक बॉडी की लापरवाही मानी जाती है. अगर कहीं सड़क पर कोई कंस्ट्रक्शन का काम किया जा रहा है वहां गड्ढा है या फिर सड़क खुद ही हुई है. और सड़क पर बने उस गड्ढे में गिरकर किसी की मौत हो जाती है. तो फिर सिर्फ एक बॉडी पर लापरवाही से हुई मौत के तहत केस दायर किया जा सकता है. हाल ही में मुंबई में एक महिला बारिश के मौसम में मैनहोल में गिर गई थी जिसके चलते उसकी मौत हो गई. इस केस में बृहन्मुंबई नगर निगम और एक ठेकेदार पर लापरवाही से मौत का केस दर्ज किया गया है. 


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