Delhi Election Avadh Ojha Nomination: चुनाव आयोग की ओर से दिल्ली विधानसभा चुनावों की तारीख का ऐलान हो गया है. 5 फरवरी को दिल्ली में वोट डाले जाएंगे. तो वहीं 8 फरवरी को इन चुनावों का रिजल्ट घोषित किया जाएगा. यूपीएससी के धाकड़ टीचर और युवाओं को बीच खासे फेमस अवध ओझा ने दिल्ली विधानसभा चुनावों से अपनी राजनीतिक पारी शुरू करने का फैसला ले लिया है.
अगले महीने होने वाले दिल्ली विधानसभा चुनाव में वह पटपड़गंज सीट से आम आदमी पार्टी की ओर से मैदान पर उतरेंगे. लेकिन इसी बीच उनके चुनाव लड़ने को लेकर सवाल खड़े हो गए हैं. पटपड़गंज विधानसभा क्षेत्र से आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार अवध ओझा का वोट अबतक ट्रांसफर नहीं हुआ है. अब इसके चलते उनका नामांकन भी रद्द हो सकता है. जानें क्या होता है वोट ट्रांसफर.
रद्द हो सकता अवध ओझा का नामांकन
आम आदमी पार्टी का दामन थाम चुके यूपीएससी गुरु अवध ओझा अगले महीने होने वाले विधानसभा चुनावों में दिल्ली की पटपड़गंज विधानसभा सीट से मैदान पर उतरे हैं. लेकिन राजनीतिक पारी शुरू होने से पहले ही अवध ओझा के लिए मुश्किलें खड़ी हो गई हैं. यहां तक कि उनके नामांकन रद्द होने तक की नौबत आ चुकी है. दरअसल अवध ओझा का वोट ग्रेटर नोएडा में हैं. जिसे उन्होंने दिल्ली में ट्रांसफर करवाने के लिए 7 जनवरी को 8 फॉर्म भर कर जमा कर दिया था.
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यह वोट ट्रांसफर करवाने के लिए आखिरी तारीख थी. लेकिन इसके बाद दिल्ली सीईओ ने फार्म भरने की आखिरी तारीख को 6 जनवरी तक ही सीमित कर दिया. यानी अवध ओझा वोट ट्रांसफर करने के फॉर्म जमा करने की आखिरी तारीख तक फॉर्म नहीं भर पाए. अगर उनका वोट ग्रेटर नोएडा से दिल्ली ट्रांसफर नहीं होता. तो फिर अवध ओझा पटपड़गंज विधानसभा से चुनाव नहीं लड़ पाएंगे.
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क्या होता है वोट ट्रांसफर?
दरअसल चुनाव आयोग के नियमों के मुताबिक किसी राज्य के विधानसभा चुनावों में वही व्यक्ति बतौर प्रत्याशी अपना नामांकन भर सकता है. जो कि उस राज्य का वाटर होता है. यानी एक तरह से कहें तो वह उस राज्य में रहा हो. जैसे अगर किसी को दिल्ली में चुनाव लड़ना है तो उसके लिए उसका वोट दिल्ली में होना चाहिए. अगर उसके पास उत्तर प्रदेश का वोटर कार्ड है उसका वोट उत्तर प्रदेश में है. तो फिर वह दिल्ली में चुनाव नहीं लड़ पाएगा. जै
सा कि इस वक्त अवध ओझा के साथ मामला चल रहा है. उनका वोट ग्रेटर नोएडा में है जो कि उत्तर प्रदेश में आता है. अगर वह दिल्ली ट्रांसफर नहीं होता तो फिर वह दिल्ली विधानसभा का चुनाव नहीं लड़ पाएंगे. वोट ट्रांसफर करवाने के फार्म भर कर जमा करना होता है. इससे पहले जहां वोट होता है वहां से कट जाता है. और जहां के लिए वोट ट्रांसफर करवाया जाता है वहां का नया वोटर कार्ड बनता है.
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