रात 10 बजे के बाद भी बजा सकते हैं डीजे, बस इस बात का रखना होगा खयाल
DJ Using Rules At Night: आप चाहें तो रात 10 बजे के बाद भी डीजे चला सकते हैं. लेकिन इसके लिए आपको कुछ बातों का रखना होगा ख्याल. चलिए जानते हैं पूरी खबर.
DJ Using Rules At Night: भारत में शादी पार्टियों में कोई भी पार्टी बिना डीजे के पूरी नहीं मानी जाती. शादियों में और पार्टियों में लोग डीजे पर जमकर डांस करते हैं. जहां कहीं डीजे नहीं होता वहां शादी या फिर कोई भी पार्टी फीकी नजर आती है. लेकिन भारत में डीजे के इस्तेमाल को लेकर कुछ नियम कानून बनाए गए. जिनका डीजे संचालकों को पालन करना होता.
भारत में रात को डीजे इस्तेमाल को लेकर नियम है कि कोई भी रात 10 बजे के बाद डीजे का इस्तेमाल नहीं कर सकते. अगर कोई ऐसा करता है तो फिर उसके खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है. लेकिन अगर आप चाहें तो रात 10 बजे के बाद भी डीजे चला सकते हैं. लेकिन इसके लिए आपको कुछ बातों का रखना होगा ख्याल. चलिए जानते हैं पूरी खबर.
रात में 10 बजे के बाद भी चला सकते हैं डीजे
भारत में ध्वनि प्रदूषण (विनियमन और नियंत्रण) कानून 2000 के तहत रात 10 बजे के बाद सुबह 6 बजे तक डीजे का इस्तेमाल करने पर पाबंदी है. लेकिन ऐसा करने के लिए कोई बाध्यता नहीं है. कुछ नियमों का पालन करते हुए पार्टियों में डीजे रात 10 बजे के बाद के 12 बजे तक इस्तेमाल कर सकते हैं. इसमें डीजे की साउंड को उस लेवल पर रखना होता है. जिससे किसी को भी परेशानी ना हो.
10 बजे के बाद अगर कोई डीजे बजाना चाहता है. तो फिर उसे साउंड को 70 डेसिबल से कम रखना होता है. इससे ज्यादा हुआ और किसी ने शिकायत कर दी तो फिर कार्रवाई हो सकती है. इसलिए रात बजे के बाद 2 घंटे और डीजे चलाया जा सकता है. लेकिन एक साउंड लिमिट में रहकर.
क्या सकती है कार्रवाई?
भारतीय संविधान द्वारा देश के नागरिकों को कुछ मौलिक अधिकार दिए है. जिनमें ध्वनि प्रदूषण मुक्त वातावरण में रहने का अधिकार भी आता . जिसमें कोई खलल नहीं डाल सकता है. अगर कोई रात को डीजे या कोई अन्य लाउडस्पीकर चलाता है. तो ऐसे में IPC की धारा 290 और 291 के तहत केस दर्ज करवाया जा सकता है. इसके तहत जेल और जुर्माना दोनों का प्रावधान है.
कोर्ट में भी कर सकते हैं शिकायत
अगर आपके क्षेत्र में कोई ज्यादा आवाज में डीजे या लाउडस्पीकर का इस्तेमाल करता है. तो उसके खिलाफ आप सीधे कोर्ट का दरवाजा खटखटा सकते हैं. जिसमें आप आर्टिकल 32 के तहत सुप्रीम कोर्ट से कार्रवाई की मांग कर सकते हैं. आप आर्टिकल 226 के तहत हाई कोर्ट जाकर के भी केस कर सकते हैं.
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