Fan Regulator Fact : बिजली की बचत करने के लिए अक्सर लोग तरह-तरह के उपाय करते रहते हैं. इसके लिए वो कई वैज्ञानिक तरीकों का भी इस्तेमाल कर रहे हैं, ताकि कम बिजली खपत में ज्यादा काम हो जाए. एसी को एक निश्चित टेम्प्रेचर पर चलाकर भी बिजली की बचत करने की कोशिश की जाती है. कई लोग पंखे को लेकर भी बिजली खपत कम करने की कोशिश करते हैं. लोगों का मानना है कि अगर पंखे को कम स्पीड पर चलाया जाए तो बिजली की खपत कम हो सकती है. हालांकि, कई लोगों का तर्क है कि पंखा किसी भी स्पीड पर चलाओ उसका कोई फर्क नहीं पड़ता है. तो आइए जानते हैं कि आखिर सच क्या है? क्या सच में रेगुलेटर से आप बिजली की बचत कर सकते हैं? आइए इसके पीछे के विज्ञान को समझें.
यह है सच
अगर सीधे शब्दों में कहें तो पंखे पर खर्च होने वाली बिजली का सीधा संबंध उसकी स्पीड से होता है, लेकिन यह रेग्युलेटर के प्रकार पर भी निर्भर करता है. जी हां, रेग्युलेटर के आधार पर ही यह कहा जा सकता है कि पंखे की स्पीड को नियंत्रित करके बिजली के खर्चे को कम ज्यादा किया जा सकता है. गौरतलब है कि बहुत से रेग्युलेटर ऐसे भी हैं, जो बिजली की खपत पर कोई असर नहीं डालते हैं. ऐसे रेगुलेटर सिर्फ पंखे की स्पीड तक ही सीमित रहते हैं.
इन रेगुलेटर से नही होती बिजली की बचत
कई रेगुलेटर वोल्टेज कम करके पंखे की स्पीड को वोल्टेज कम करके कंट्रोल करते हैं. ये रेगुलेटर पंखे को सप्लाई किए जाने वाले वोल्टेज को घटाकर उसकी रफ्तार को कम कर देते थे. इस तरह पंखे में कम बिजली पहुंचती थी. लेकिन, इनसे बिजली की बचत नहीं होती थी, क्योंकि ये रेगुलेटर एक प्रतिरोधक की तरह काम करता था, उसमें तब भी उतनी ही बिजली जाती थी. इस तरह पंखे की स्पीड कम करने से भी बिजली बचत पर कोई खास असर नहीं पड़ता था. ऐसा सिस्टम पुराने रेगुलेटर में होता था जो आकर में भी काफी बड़े होते थे.
कैसे बचती है बिजली?
आजकल बाजार में इलेक्ट्रोनिक रेगुलेटर आ रहे हैं. अब इसका इस्तेमाल ज्यादा किया जाता है. लोगों का मानना है कि इनसे बिजली बचाई जा सकती है. माना जाता है कि नए रेगुलेटर से बिजली के खर्च को 30 से 40 फीसदी तक कम किया जा सकता है. नए इलेक्ट्रिक रेगुलेटर फायरिंग एंगल को चेंज करके करंट के प्रवाह को कंट्रोल करते हैं. इस तरह जब करंट की खपत कम होती है तो बिजली का खर्च भी कम हो जाता है. इनमें बिजली कंट्रोल के लिए कैपिसिटर आदि का इस्तेमाल होता है. फायरिंग एंगल को बदलने से करंट और वोल्टेड साथ-साथ कम होते है और बिजली की बचत होती है. इसका मतलब यह हुआ कि पंखा जितना तेज पंखा चलेगा बिजली का खर्च भी उतना ही बढ़ेगा और कम स्पीड में खर्चा भी कम ही होगा.
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