Fare Discount For Martyrs Families: भारत में जो वीर सैनिक देश की सेवा में अपनी जान गंवाते हैं. उन्हें हैं शहीद का दर्जा दिया जाता है. भारत में शहीदों के परिवार को सिर्फ पूरा सम्मान ही नहीं दिया जाता है. बल्कि उनके परिवार जनों को कई प्रकार की सहायता और सुविधाएं भी दी जाती हैं. इन सुविधाओं में यात्रा को लेकर के भी किराए पर रियायत का नियम है. 


यानी शहीदों के परिवार से अगर कोई ट्रेन और फ्लाइट से ट्रैवल करता है. तो उन्हें किराए में छूट दी जाती है. कितनी मिलती है शहीदों के परिवारों को फ्लाइट और ट्रेन में यात्रा करने पर किराए में छूट. क्या है इसके लिए फ्लाइट और ट्रेनों में नियम. चलिए आपको बताते हैं. 


ट्रेन में मिलती है इतनी छूट


भारतीय रेलवे के मुताबिक शहीदों के पूरे परिवार को किराए में रियायत नहीं दी जाती. बल्कि उनकी पत्नियों को ही किराए में छूट दिए जाने का प्रावधान है. रेलवे के नियमों के मुताबिक शहीदों की पत्नियों अगर कहीं ट्रैवल करती हैं तो उन्हें सेकंड और स्लीपर क्लास में 75% डिस्काउंट दिया जाता है. इसके साथ ही इंडियन पीस कीपिंग फोर्स के ऐसे जवान जो श्रीलंका में शहीद हुए थे. उनकी पत्नियों को भी भारतीय रेलवे के नियमों के मुताबिक सेकंड और स्लीपर क्लास में 75% रियायत दी जाती है.


इसके अलावा आतंकवादियों और चरमपंथियों के खिलाफ़ कार्रवाई में शहीद हुए पुलिसकर्मियों और अर्धसैनिक बलों के जवानों की पत्नियों को भी सेकंड और स्लीपर क्लास के किराए में 75% रियायत दी जाती है. कारगिल युद्ध में शहीद हुए जवानों की पत्नियों को भी सेकंड क्लास और स्लीपर के किराए में 75 फीसदी रियायत दिए जाने का प्रावधान है.  


फ्लाइट में मिलती है इतनी छूट


भारत में बहुत सी एयरलाइन कंपनियां संचालित है. सभी के फ्लाइट में सफर करने वाले यात्रियों के लिए कुछ कंसेशन रूल है. भारतीय शहीदों के परिवारों को फ्लाइट में सफर करने पर रियायत दी जाती है. रेलवे में जहां शहीदों की पत्नियों को ही किराए में रियायत दी जाती है. तो वहीं फ्लाइट में यह रियायत शहीदों के पूरे परिवार को दी जाती है. इसमें शादीशुदा बेटे बेटियां शामिल नहीं होते.


तो वहीं इसके साथ ही जो जवान देश की सेवा में कार्य कर रहे होते हैं उनके परिवार वालों को भी रियायत दी जाती है. फ्लाइट में सीटों के हिसाब से किराए में छूट दी जाती है. यह रियायत 50% तक भी हो सकती है और उस कम भी. बुकिंग करते वक्त शहीदों और सैनिकों के परिवार वालों को वैध दस्तावेज भी दिखाना होता है. 


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