Firecracker License: पटाखों का इस्तेमाल हर शादी-पार्टी या फिर दिवाली पर किया जाता है, लेकिन कई बार ये बारूद से भरे पटाखे जानलेवा हो जाते हैं. मध्य प्रदेश के हरदा में पटाखों का तांडव पूरे देश के लोगों ने देखा, जहां एक रिहायशी इलाके में पटाखा फैक्ट्री चलाई जा रही थी, जिसमें लगी एक चिंगारी ने पूरे इलाके को खाक करके रख दिया. इस खबर के बाद पता चला कि पटाखा फैक्ट्री के मालिक ने एक नहीं बल्कि चार लाइसेंस ले रखे थे, इनमें से दो लाइसेंस तो सस्पेंड भी थे. आज हम आपको बता रहे हैं कि पटाखा फैक्ट्री का लाइसेंस कैसे मिलता है और इसके लिए क्या नियम बनाए गए हैं.
कैसे मिलता है लाइसेंस?
क्रैकर और विस्फोटक लाइसेंस के लिए आवेदन करने के लिए संबंधित क्षेत्र के जिला मजिस्ट्रेट ऑफिस से संपर्क करना होता है. यहां से अधिकारी आवेदनकर्ता को एक फॉर्म देंगे, साथ ही ऑनलाइन आवेदन की भी जानकारी दी जाएगी. आवेदन के साथ तमाम तरह के दस्तावेज भी आपसे मांगे जाएंगे, एक भी दस्तावेज कम होने पर फॉर्म रद्द कर दिया जाएगा. इसके साथ ही आवेदन शुल्क भी देना होता है. आवेदन के बाद अधिकारी इसकी अच्छी तरह से जांच करता है, जिसके बाद आवेदन स्वीकार या अस्वीकार किया जाता है.
अलग-अलग राज्यों के इसके लिए अपने नियम हैं. कुछ राज्य एक साल के लिए लाइसेंस देते हैं, वहीं कुछ राज्यों में ये सीमा कम या ज्यादा हो सकती है. भारत सरकार के पेट्रोलियम एंड एक्सप्लोसिव सेफ्टी डिपार्टमेंट की तरफ से पटाखा बनाने के लाइसेंस जारी किए जाते हैं. पटाखा बेचने के लाइसेंस के लिए कलेक्ट्रेट में आवेदन कर सकते हैं.
क्या हैं नियम?
पटाखा फैक्ट्री लगाने के कुछ नियम भी हैं, जिनका पालन करना जरूरी होता है. पटाखा फैक्ट्री किसी ऐसे इलाके में होनी चाहिए, जहां रिहायशी इलाका न हो. फैक्ट्री के लिए एक एकड़ की जमीन होनी चाहिए, साथ ही पटाखों को ऐसी शेड में रखा जाना चाहिए जो ज्वलनशील न हो. आतिशबाजी रखने और बेचने के शेड की दूरी तीन मीटर की होनी चाहिए. फैक्ट्री में किसी भी तरह के तेल से जलने वाले लैंप या गैस का इस्तेमाल नहीं होगा. कोई भी बल्ब तार से लटका नहीं होना चाहिए, लाइट दीवार या फिर छत से चिपकी होनी चाहिए. फैक्ट्री में फायर सेफ्टी का पूरा सामान होना जरूरी है.