Fixed Deposit Laddering: लोग निवेश के लिए बहुत सारे जरिए ढूंढते हैं. जहां उन्हें अपने निवेश पर अच्छा रिटर्न प्राप्त हो सके. इसके लिए अलग-अलग लोग अलग-अलग जगह पर निवेश करते हैं. कोई शेयर मार्केट में पैसे लगता है. तो कोई म्युचुअल फंड्स में पैसे जमा करता है. तो कोई बैंक में एफडी करवा देता है. लेकिन ज्यादातर लोग एफडी को एक सुरक्षित निवेश का जरिया मानते हैं. पिछले कुछ समय से कई बैंकों ने एफडी पर इंटरेस्ट रेट को बढ़ा दिया है. 


इसीलिए आप बहुत से लोग निवेश के तौर पर एफडी को एक बेहतर ऑप्शन मान रहे हैं. बहुत से बुजुर्ग लोग खासतौर पर जो पेंशन ले रहे हैं. वह लोग अपने पैसों को एफडी में निवेश कर देते हैं. ताकि उन्हें समय पर रिटर्न मिलता रहे. एफडी पर रिटर्न की बात की जाए तो एफडी लैडरिंग एक तरीका है. जिससे आप अपनी एफडी पर और ज्यादा रिटर्न पा सकते हैं. चलिए आपको बताते हैं किस तरह काम करता है यह तरीका और कैसे आपको आर्थिक फायदा पहुंचा सकता है. 


क्या होता है एफडी लैडरिंग?


एफडी लैडरिंग दरअसल एफडी में पैसों को निवेश करने की एक स्ट्रेटजी है. जो आपको ज्यादा रिटर्न दिलाने में मदद करती है. इसमें आप पूरे पैसे एक एफडी में निवेश करने के बजाय. कुछ-कुछ अमाउंट अलग-अलग एफडी में निवेश करते हैं. जिनकी अलग-अलग मैच्योरिटी डेट्स होती है. इससे आप एक लैडर यानी एक सीढ़ी तैयार कर लेते हैं. जिस समय-समय पर आपको फंड मिलता रहता है और इसके साथ ही आप लगातार ब्याज भी हासिल करते रहते हैं. 


बैंक बाजार के एजीएम रवि कुमार दिवाकर के मुताबिक एफडी लैडरिंग में आप 1 से लेकर 5 साल तक के समय में अलग-अलग एफडी खोल सकते हैं. जिनकी अलग-अलग मैच्योरिटी डेट्स होंगी. इस तरीके से हर एक साल बाद आपकी एक एफडी मेच्योर होगी. जिससे आपके पास फंड जमा होता रहेगा. आप चाहें तो पैसों को निकाल सकते हैं या फिर उन पैसों को दोबारा निवेश कर सकते हैं. 


उदाहरण के तौर पर बात की जाए तो अगर आप 1 लाख रुपये की एफडी एक साल के  टेन्योर के लिए 5%  इंटरेस्ट रेट दर खोलते हैं. जबकि इस दौरान मुद्रास्फीति की दर 6% है. तो ऐसे में आपको जो रिटर्न मिलेगा वह मुद्रास्फीति के प्रभाव को पूरा नहीं कर पाएगा. लेकिन अगर एफडी लैडरिंग के तहत 5%, 7%, और 8% की बढ़ती ब्याज दरों पर आप अलग-अलग समय में अलग एफडी खोलते हैं.तो आपको मुद्रास्फीति से ज्यादा रिटर्न मिल जाएगा. 


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एफडी लैडरिंग के फायदे


बढ़ेगी लिक्विडिटी: जब आपकी एफडी थोड़े-थोड़े अंतराल पर मेच्योर होंगी. तब आपके पास एक टाइम पीरियड के बाद फंड इकट्ठा होता रहेगा. जो आपको अचानक से आ गए खर्चों में काम आ सकता है. इसके साथ ही आप और जगहों पर इस फंड को निवेश भी कर सकते हैं. 


इंटरेस्ट का फायदा: अगर एफडी की इंटरेस्ट रेट बढ़ती है. तो आप दोबारा से हाई इंटरेस्ट रेट में इन्वेस्ट कर सकते हैं . लेकिन वही अगर इंटरेस्ट रेट नीचे आता है. तो जो इन्वेस्ट आपने पहले किया होता है उस पर आपको ज्यादा ब्याज मिलता रहता है.  


रेगुलर इनकम सोर्स: अगर आप बहुत सी एफडी में निवेश करते हैं. तो आपको अलग-अलग एफडी पर ब्याज मिलता रहता है. इससे आपकी रेगुलर इनकम सोर्स बन जाता है. वह लोग जो बिना जोखिम उठाएं रेगुलर इनकम पाना चाहते हैं उनके लिए यह काफी अच्छा है. 


आसान है मेंटेन करना: पैसे इन्वेस्ट करने के बाद आपको अक्सर निगरानी करनी पड़ती है. लेकिन एफडी लैडरिंग बहुत आसान स्ट्रेटजी है. यहां आपको ज्यादा ध्यान देने की जरूरत नहीं होती. आप एक बार एफडी सेटअप करते हैं. तो यह ऑटोमेटेकली काम करती रहती हैं. और आपको फाइनेंशियल स्टेबिलिटी देती है.


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इन बातों का रखें ध्यान


इंटरेस्ट रेट: फिलहाल जो इंटरेस्ट रेट चल रही है. उन पर ध्यान रखना जरूरी होता है. एफडी लैडरिंग स्ट्रेटजी के तहत अगर आप इन्वेस्ट करते हैं. तो आप ब्याज दर के कम ज्यादा होने पर घाटे से बच जाते हैं. लेकिन जब आपकी एचडी में  मैच्योर हो जाती है. तो दोबारा इन्वेस्ट करते समय आपको हालिया ब्याज दर को देखना जरूरी होता है. 


टैक्स का रखें ध्यान: एफडी में निवेश करने पर आपको जो इनकम होती है वह टैक्सेबल होती है. आप किस टैक्स स्लैब में आते हैं. उस हिसाब से आपको यह ध्यान देना चाहिए कि एचडी का रिटर्न आपके कुल रिटर्न को प्रभावित तो नहीं कर रहा. इसके लिए आप एक टैक्स एडवाइजर से सलाह ले सकते हैं. जिससे निवेश में दिक्कत ना हो.


शुरुआत में निकासी: सामान्य तौर पर अगर आप किसी बैंक में एफडी की मेच्योर डेट से पहले उसे तोड़ देते हैं. तो कई बैंक उस पर पेनल्टी लगाते हैं. इसीलिए जब आप एफडी में निवेश करें तो पहले अपने पास लिक्विडिटी चेक कर लें. ताकि आपको एचडी को अचानक से तोड़ना ना पड़े . 


एफडी लैडरिंग एफडी में इन्वेस्टमेंट करके ज्यादा रिटर्न पाने की एक स्मार्ट स्ट्रेटजी है. चाहे आप जोखिम न लेने वाले निवेशक हों या फिर आप स्टेबल रिटर्न चाहने वाले, या फिर कोई ऐसा व्यक्ति जो अपने पोर्टफोलियो में विविधताएं लाना चाहता है. तो ऐसे में उन लोगों के लिए एफडी लैडरिंग अच्छा ऑप्शन साबित हो सकता है.  


क्या है बैंक बाजार?


बता दें कि बैंक बाजार एक व्यक्तिगत फाइनेंस मैनेजमेंट ऐप है, जो आपके मंथली खर्चों को खुद-ब-खुद ट्रैक करता है. ट्रैकिंग का यह तरीका एकदम सेफ होता है. इसके अलावा अगर आप कोई गलत लेन-देन करते हैं या किसी पेमेंट पर आपको जुर्माना देना पड़ता है तो यह ऐप यूजर को जानकारी भी देता है.


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