Abortion Law India: गर्भपात को लेकर दुनियाभर के तमाम देशों में लगातार एक बहस चल रही है, जिसमें कानूनी तौर पर इसकी इजाजत देने या फिर नहीं देने को लेकर लोगों में अलग-अलग राय है. कुछ लोगों का कहना है कि महिलाओं को इस बात की आजादी होनी चाहिए, वहीं कुछ लोगों को इससे दिक्कत है. हाल ही में फ्रांस सरकार ने बड़ा ऐलान किया और गर्भपात को संवैधानिक अधिकार दिया. ऐसा करने वाला फ्रांस दुनिया का पहला देश बन गया. इसी बीच हम आज आपको बता रहे हैं कि भारत में गर्भपात को लेकर क्या नियम हैं. 


क्या कहता है कानून
दुनियाभर के तमाम देशों की तरह भारत में भी गर्भपात के लिए नियम बनाए गए हैं. इसके लिए कानून बनाया गया है, मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी एक्ट के मुताबिक एक योग्यता प्राप्त डॉक्टर ही गर्भपात करने की इजाजत दे सकता है. अगर डॉक्टर को ये पता चल गया कि बच्चे या भ्रूण को खतरा है या फिर डिलीवरी से मां की जान जा सकती है तो इस स्थिति में गर्भपात की इजाजत दी जा सकती है. 


कितने हफ्ते तक हो सकता है गर्भपात
गर्भपात के लिए एक समयसीमा तय की गई है, जिसमें अगर कोई महिला 20 हफ्ते से कम समय से प्रेग्नेंट है तो वो किसी एक डॉक्टर की सलाह से गर्भपात करवा सकती है. यानी अगर डॉक्टर को लगता है कि गर्भपात सुरक्षित है तो इसकी इजाजत दी जा सकती है. अगर 20 हफ्ते से 24 हफ्ते के बीच की प्रेग्नेंसी है तो दो डॉक्टरों की सलाह लेनी जरूरी है. हालांकि 20 हफ्ते से 24 हफ्ते तक सिर्फ वही महिलाएं अबॉर्शन करवा सकती हैं जो बलात्कार पीड़िता हों, नाबालिग हों या फिर मानसिक और शारीरिक तौर पर बीमार हों. 24 हफ्ते के बाद गर्भपात सिर्फ मेडिकल बोर्ड की सहमति से किया जा सकता है.


कई मामलों में देखा गया है कि अबॉर्शन के ऐसे मामले कोर्ट तक जाते हैं, अगर कारण सही पाया गया तो कोर्ट की तरफ से गर्भपात करने की इजाजत दे दी जाती है. हालांकि जरूरी नहीं है कि हर मामले में कोर्ट इसकी इजाजत दे. अगर कोई जबरन या गैरकानूनी तरीके से गर्भपात करने या फिर कराने की कोशिश करता है तो उसे जेल की सजा हो सकती है. 


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