Gold Tax: क्या सोने से हुई कमाई पर भी लगता है टैक्स? जरूर जान लें ये बात
Gold Tax: अगर आप सोना बेचते हैं तो इस पर टैक्स देना जरूरी होता है. ऐसा नहीं करने पर आपके खिलाफ इनकम टैक्स विभाक की तरफ से नोटिस जारी किया जा सकता है.
Gold Investment: सोने के भाव इस तरह से ऊपर चढ़ रहे हैं कि अब ये आम आदमी की पहुंच से लगातार दूर होता जा रहा है. फिलहाल भारत में सोने के भाव 70 हजार रुपये से भी ज्यादा हो चुके हैं. अब जिनके पास सोना है या फिर जिन लोगों ने इसमें निवेश किया है, उनकी इस तेजी से मौज हो गई है. वहीं जो लोग सोना खरीदने की सोच रहे थे, वो फिलहाल सदमे में हैं. आज हम आपको सोने के मोलभाव के बारे में नहीं बता रहे हैं, बल्कि ये बता रहे हैं कि सोने से अगर कमाई की सोच रहे हैं तो इस पर लगने वाले टैक्स के बारे में आपको जरूर पता होना चाहिए.
कई तरह से करते हैं निवेश
दरअसल कई लोग फिजिकल या फिर गोल्ड बॉन्ड में निवेश करते हैं. फिजिकल गोल्ड हमारे घरों में मौजूद ज्वैलरी होती है. कई लोग सोने के सिक्के या जेवर खरीदकर लॉकर में रख लेते हैं और फिर भाव बढ़ने पर इसे बेचते हैं. कुछ लोग गोल्ड म्यूचुअल फंड में भी निवेश करते हैं. इसी तरह गोल्ड बॉन्ड में भी होता है, जिसमें वर्चुअल सोना आपको मिलता है. अब जानते हैं कि आपको गोल्ड बेचने पर कितना टैक्स चुकाना होता है.
कितना लगता है टैक्स?
अगर आप सोना बेचते हैं तो इस पर टैक्स देना जरूरी होता है. ऐसा नहीं करने पर आपके खिलाफ नोटिस जारी किया जा सकता है. अगर आप तीन साल के भीतर गोल्ड बेच रहे हैं तो ये शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन में आता है. इसमें टैक्स स्लैब के हिसाब से ही आपसे टैक्स वसूला जाता है. वहीं अगर तीन साल बाद सोना बेचकर कमाई करते हैं तो आपको लॉन्ग टर्म कैपिटल के तौर पर 20.8 परसेंट तक टैक्स देना पड़ेगा. इसी तरह गोल्ड म्यूचुअल फंड्स पर भी टैक्स देना होता है. इसमें भी तीन साल का नियम होता है.
अब अगर गोल्ड बॉन्ड की बात करें तो ये 8 साल के लिए होता है. अगर आप 8 साल बाद इससे कैपिटल गेन करते हैं तो आपको कोई भी टैक्स नहीं देना होगा. ये पूरी तरह से टैक्स फ्री है. हालांकि अगर 8 साल से पहले आप इसे कैश करवाते हैं तो आपको टैक्स चुकाना पड़ सकता है.
सिर्फ मुनाफे पर टैक्स
अब अगर आप सोच रहे हैं कि आपका ही सोना और आपसे ही टैक्स क्यों वसूला जा रहा है तो आपको इसका गणित बता देते हैं. अगर आपने पांच लाख रुपये का सोना खरीदा है और कुछ साल बाद वो 8 लाख रुपये का होता है तो आपको 8 लाख पर नहीं बल्कि तीन लाख रुपये पर टैक्स देना है. यानी जो फायदा हुआ है सिर्फ उसी का टैक्स देना होता है.
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