Haldwani Riots: क्या होती है नजूल की जमीन, आम लोगों को इस्तेमाल के लिए कैसे मिलती है?
Haldwani Riots: उत्तराखंड के हल्द्वानी में भड़के दंगों के पीछे नजूल की जमीन को खाली कराया जाना था, सरकार की तरफ से इसकी कार्रवाई की गई और फिर हिंसा भड़क उठी.
Nazool Land: उत्तराखंड के हल्द्वानी में पिछले दिनों खूब बवाल हुआ, सरकार की तरफ से कुछ जमीनों पर बनाई गई धार्मिक इमारतों को हटाने की कार्रवाई की गई. इसके बाद वहां पर दंगे भड़क गए, जिसमें करीब पांच लोगों की मौत हो गई. जिन इमारतों पर बुलडोजर चलाया गया, वो नजूल की जमीन पर बनी हुई थीं. आज हम आपको बता रहे हैं कि ये नजूल की जमीन क्या होती है, इस पर किसका अधिकार होता है और आम लोग कैसे इसे इस्तेमाल कर सकते हैं.
क्या होती है नजूल की जमीन?
नजूल की जमीन का सीधा मतलब ऐसी जमीन से है, जिसका कई सालों से कोई भी वारिस नहीं मिला. ऐसा होने पर राज्य सरकार को ये जमीन मिल जाती है और पूरा अधिकार सरकार का होता है. इसे समझने के लिए हमें आजादी से पहले हुई कुछ घटनाओं के बारे में जानना होगा. दरअसल जब अंग्रेज भारत पर राज करते थे, तब कुछ रियासतें तो अंग्रेजों के साथ थीं, लेकिन कुछ ने उनसे शासन के खिलाफ विद्रोह छेड़ दिया था.
लावारिस जमीनों पर सरकार का कब्जा
जो लोग अंग्रेजों के खिलाफ आवाज उठाते थे, उन्हें कई तरह की सजा मिलती थी. ऐसे लोगों के पास कई एकड़ जमीन भी होती थी, जिस पर अंग्रेज कब्जा कर लेते थे. इसके बाद वो जमीन कब्जे में ही रहती थी. कई लोग अपनी जमीन छोड़कर खुद ही भाग जाते थे. अब इस तरह की जमीनों को नजूल की जमीन कहा गया. आजादी मिलने के बाद जिन जमीनों पर लोगों ने दावा किया, उन्हें वापस लौटा दिया गया. लेकिन कई जमीनें ऐसी भी थीं, जिनका कोई भी वारिस नहीं मिला. किसी के पास भी इन जमीनों का कोई रिकॉर्ड नहीं था, ऐसे में ये जमीनें नजूल में चली गईं. राज्य सरकारों ने ऐसी तमाम जमीनों पर अपना कब्जा कर लिया.
नजूल की जमीन का इस्तेमाल
अब बात करते हैं कि नजूल की जमीन का कैसे आम लोग इस्तेमाल कर सकते हैं और इस पर किस तरह के काम हो सकते हैं. दरअसल सालों से बंजर पड़ी इन जमीनों को काम के लिए इस्तेमाल करने के लिए 1956 में नजूल हस्तांतरण नियम बनाए गए. इसमें जनहित के लिए कई तरह के काम होने लगे, जैसे- हॉस्पिटल, पार्क, नगर पालिका, स्कूल आदि बनाए गए. जो जमीनें खेती लायक थीं, उन्हें ऐसे लोगों को पट्टे पर दिया गया, जिनके पास कृषि योग्य जमीन नहीं थी. हालांकि भले ही इसका इस्तेमाल किसी भी तरह से हो रहा हो, जमीन पर मालिकाना हक राज्य सरकार का ही होता है. इसे न ही बेचा जा सकता है और न ही किसी और को दिया जा सकता है.
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