अगर लू लगने से मौत हो जाए तो क्या परिवार को मिल सकता है कोई मुआवजा?
Heat Stroke Death Compensation: क्या लू लगने से अगर किसी की मौत होती है. तो फिर मृतक के परिवार को किसी तरह का मुआवजा दिया जाएगा या नहीं. इस तरह के मुआवजे को लेकर क्या है प्रावधान. चलिए जानते हैं.
Heat Stroke Death Compensation: भारत के कई राज्यों इन दिनों भीषण गर्मी पड़ रही है. तापमान लगातार बढ़ता ही जा रहा है. लू यानी हीट वेव की समस्या से भी लोग काफी परेशान हैं. हीट वेव के चलते बहुत से लोगों ने अपनी जान भी गवाई है. लोगों की मौत का यह सिलसिला काफी बढ़ता ही जा रहा है.
भारत के 23 राज्य हीट वेव से बुरी तरह प्रभावित हैं. इनमें दिल्ली, राजस्थान, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, झारखंड, बिहार, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में लू से होने वाली मौतों का आंकड़ा तेजी से बढ़ रहा है.
ऐसे में लोगों के मन में यह सवाल बहुत आ रहा है कि क्या लू लगने से अगर किसी की मौत होती है. तो फिर क्या मृतक के परिवार को किसी तरह का मुआवजा दिया जाएगा या नहीं. क्या है सरकार का इस तरह के मुआवजे को लेकर प्रावधान. चलिए जानते हैं.
साल 2015 में बनाया गया था कानून
भारत सरकार द्वारा साल 2015 में हीट वेव और कोल्ड वेव यानी लू और शीतलहर से होने वाली मौतों की रोकथाम के लिए एक कानून बनाया गया था. इस कानून में हीट वेव को प्राकृतिक आपदा के तौर पर सरकार ने दर्जा दिया था. इस अधिनियम में इस हिदायत दी गई थी कि जिस भी राज्य में लू से कोई व्यक्ति पीड़ित होगा.
तो संबंधित राज्य की सरकार उस व्यक्ति के परिजनों को एक निश्चित राशि देगी. सरकार द्वारा बनाए गए कानून के अंतर्गत अगर लू से किसी की मौत होती है. तो फिर मृतक के परजनों को कम से कम 3 लाख रुपये का मुआवजा देने का प्रावधान तय किया गया था. इस मुआवजे की राशि के लिए केंद्र सरकार द्वारा राज्य सरकारों को फंड मुहैया कराया जाएगा.
कैसे मिलता है मुवाअजा?
हर साल जब भीषण गर्मी पड़ती है. तब लू लगने से कई लोगों की मौत होने की खबर आती है. लेकिन पहले इस तरह के केस में सरकार की ओर से मुआवजे का कोई प्रावधान नहीं था. लेकिन साल 2014 में मोदी सरकार आने के बाद लू लगने से होने वाली मौतों को प्राकृतिक आपदाओं की श्रेणी में जोड़ लिया गया है.
मुआवजे के लिए मृतक के परिवार को प्राकृतिक घटनाओं की श्रेणी में मिलने वाले मुआवजे के तहत आवेदन देना पड़ता है. पहले इसकी जांच प्रखंड स्तर के अधिकारी द्वारा की जाती है. इसके बाद जिला स्तर पर एसडीएम, तहसीलदार या नायाब तहसीलदार रिपोर्ट आगे सरकार को भेजते हैं. इसके बाद मुआवजा जारी किया जाता है.
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