Treatment in Hospital: सबसे पहले आपको यह समझ लेना चाहिए कि ऐसे उदाहरण जहां डॉक्टर मरीजों का इलाज करते हैं और उसके बाद भी मरीज की मृत्यु हो जाती है तो उसे लापरवाही नहीं माना जाएगा. लापरवाही तभी होती है जब डॉक्टर के कार्य, या उसकी कमी, देखभाल के अपने कर्तव्य के उल्लंघन के कारण सीधे नुकसान पहुंचता है. अगर आपको लगता है कि डॉक्टर के उचित देखभाल के अभाव में मरीज किसी गंभीर बीमारी या मौत का शिकार हुआ है तब आप शिकायत कर सकते हैं.


कैसे कर सकते हैं शिकायत?


कोई डॉक्टर यदि व्यक्ति के इलाज में गड़बड़ी करता है, जिससे मरीज की मौत या गंभीर समस्याएं उत्पन्न होती हैं, तो उसे कानूनी दायरे में सजा दी जा सकती है. ऐसे मामले में डॉक्टर, अस्पताल, नर्सिंग होम, और स्वास्थ्य केंद्र के खिलाफ मुकदमा दायर किया जा सकता है. भारतीय चिकित्सा परिषद की आधिकारिक वेबसाइट https://www.india.gov.in/official-website-medical-council-india पर आप शिकायत दर्ज कर सकते हैं.


सबसे पहले आपको अपने मामले को समर्थन करने वाले सभी सबूतों को इकट्ठा करना होगा, जैसे कि मेडिकल रिकॉर्ड, साक्ष्यों की बयानें, और फोटोग्राफ. उसके बाद, आपको भारतीय चिकित्सा परिषद से संपर्क करके अपनी स्थिति स्पष्ट करनी होगी. हालांकि, आपको आधिकारिक शिकायत दर्ज करने से पहले परिषद की प्रतिक्रिया का इंतजार करना होगा. जब तक प्रतिक्रिया नहीं आ जाती है आप शिकायत दर्ज नहीं कर सकते हैं.


क्या कोई आसान विकल्प भी है?


सुप्रीम कोर्ट के वकील संदीप मिश्रा से जब हमने यह सवाल पूछा कि अगर डॉक्टर की लापरवाही से कोई मरीज किसी गंभीर बीमारी या मौत का शिकार होता है तो उस केस में उसके पास क्या ऑप्शन है? इस पर वह बताते हैं कि एक ऑप्शन पीड़ित के पास कंज्यूमर कोर्ट जाने का भी है. वहां कंज्यूमर कोर्ट में वह अपने किए गए भुगतान पर सही तरीके से इलाज ना करने की स्थिति साबित होने पर मुआवजा ले सकता है. हालांकि कंज्यूमर कोर्ट में डॉक्टर पर कोई कार्रवाई नहीं होती है.


वह बताते हैं कि डॉक्टर, सीए और वकील के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए उनकी इंडिपेंडेंट काउंसिल बनी हुई है, जिसमें कार्रवाई की दर 2 से 3 पर्सेंट के करीब है. डॉक्टर के लिए मेडिकल काउंसिल है. इसमें काफी लंबा वक्त लग जाता है. अगर कोई पीड़ित किसी डॉक्टर के खिलाफ इलाज के दौरान मरीज की मौत हो जाने की स्थिति में क्रिमिनल केस करना चाहता है तो IPC की धारा 304-A, 337 और 338 में व्यवस्था है. अगर डॉक्टर को दोषी पाया जाता है, तो उसे छह महीने से लेकर 2 साल की कैद, जुर्माना, या दोनों की सजा हो सकती है.


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