Floods Loss Compensation: भारत में इन दिनों मानसून का मौसम चल रहा है. मानसून के मौसम में जहां लोगों को गर्मी से छुटकारा मिला है. तो वहीं अब बारिश ने भी लोगों के लिए मुसीबतें खड़ी कर दी हैं. दिल्ली, महाराष्ट्र, गुजरात और भारत के दूसरे कई राज्यों में बारिश का भयंकर प्रकोप छाया हुआ है.  केरल के वायनाड में बारिश की वजह से भूस्खलन हो गया. जिस वजह से हजारों की संख्या में लोगों का जनजीवन प्रभावित हुआ. 


तो वहीं हिमाचल प्रदेश के मनाली में बादल फटने से लोगों का को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा. कुल मिलाकर कहें तो बारिश ने इस साल बहुत से लोगों का काफी नुकसान कर दिया है. अगर बारिश के चलते आपका घर या दुकान बह जाती है. तो फिर आपको सरकार की ओर से मुआवजा दिया जाता है. क्या करना होता है इसके लिए चलिए आपको बताते हैं.


जिला प्रशासन की होती है जिम्मेदारी 


जब किसी राज्य में बारिश और बाढ़ या फिर किसी अन्य प्राकृतिक आपदा से से आम जनता का काफी नुकसान होता है. तो ऐसी स्थिति में जिले प्रशासन पर पूरे जिले में होने वाले नुकसान के आकलन की जिम्मेदारी बनती है. जिला कलेक्टर पदाधिकारियों के साथ मिलकर पूरे जिले में हुए नुकसान का आंकलन करता है. और रिपोर्ट तैयार करता है. इस रिपोर्ट को वह राज्य सरकार को भेजता है. इसके बाद रिपोर्ट को पूरी जांचने के बाद राज्य सरकार मुआवजे का ऐलान करती है.  


नगर पालिका या पंचायत में दें सूचना 


तेज बारिश या बाढ़ के चलते आपके घर को या दुकान को नुकसान होता है. तो इसके लिए आपको अपने क्षेत्र की नगरपालिका में नगर परिषद में या फिर पंचायत में सूचना देनी होती है. इसके बाद नगर पारिषद या नगर पालिका या पंचायत के संबंधित अधिकारियों द्वारा आपकी शिकायत जिला कार्यालय में कलेक्टर तक पहुंचाई जाती है. कलेक्टर उसे राज्य सरकार तक पहुंचाता है.  


नुकसान की होती है वीडियोग्राफी 


जब किसी इलाके में बाढ़ और बारिश के चलते नुकसान हो जाता है. तो फिर वहां का स्थानीय प्रशासन. वहां के लोगों को जो नुकसान हुआ होता है उसके बारे में सर्वे करता है. उसमें लोग अपने घर दुकान या जो भी उन्हें नुकसान हुआ होता है. उस बारे में पूरी सूचना अधिकारियों को देते हैं. और अधिकारी उसे नुकसान का आंकलन करते हैं. इसके साथ ही वह फोटो भी खींचते हैं और बाढ़ से हुए नुकसान का वीडियो भी बनाते हैं. 


नुकसान के आधार पर राज्य देता है मुआवजा 


जब सारी रिपोर्ट राज्य सरकार के पास पहुंच जाती है. इसके बाद राज्य सरकार अपने राहत कोष से जिन परिवारों को नुकसान हुआ होता है. उस हिसाब से उन्हें मुआवजा देती है. 


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