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कैसे होता है शादियों का रजिस्ट्रेशन.. क्या हैं हिंदू-मुस्लिम के लिए अलग नियम-कानून?
Marriage Registration: शादियों का रजिस्ट्रैशन करवाना जरूरी है. नहीं तो कानूनी कारवाई भी हो सकती है. कैसे होता है शादियों का रजिस्ट्रैशन और क्या हिंदू -मुस्लिम के लिए अलग हैं नियम.
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Marriage Registration: भारत में इन दिनों शादियों का सीजन चल रहा है. हर साल की तरह इस साल भी खूब शादियाँ हो रही हैं. अगर आंकड़ों पर नजर डालें तो इस साल नवंबर और दिसंबर महीने के बीच लगभग 3.5 लाख शादियों के होने का अनुमान है. वहीं अगर देश की राजधानी दिल्ली की बात करें तो शादियों के मामले में ये भी किसी से पीछे नहीं रही है. सुप्रीम कोर्ट के आदेश अनुसार दिल्ली में जो भी शादी होगी उसे पंजीक्रत कराना यानी उसका रजिस्ट्रैशन करवाना जरूरी है. नहीं तो कानूनी कारवाई भी हो सकती है. कैसे होता है शादियों का रजिस्ट्रैशन और क्या हिंदू -मुस्लिम के लिए अलग हैं नियम. आइए जानते हैं पूरी जानकारी.
इस तरह करवाएं शादी का रेजिस्ट्रैशन
भारत की राजधानी दिल्ली में शादी का रजिस्ट्रैशन सभी के लिए अनिवार्य कर दिया गया है. अगर आप दिल्ली में हैं और शादी की सोच रहे हैं तो इस प्रक्रिया को ध्यान से समझें. शादी रजिस्ट्रैशन के लिए आपके पास 2 विकल्प होते हैं या तो आप स्वयं SDM के ऑफिस जाकर आवेदन दें. या फिर आप घर बैठे ही इसके लिए ऑनलाइन आवेदन दे सकते हैं. इसके लिए आपको कुछ जरूरी दस्तावेज चाहिए होते हैं.अगर हिंदू मैरिज ऐक्ट के तहत शादी हो रही है तो 100 रुपए फीस देनी होगी. वहीं स्पेशल मैरिज ऐक्ट के तहत हुई शादियों के लिए 150 रुपए फीस है.
इन दस्तावेजों की होती है जरूरत
आवेदन पत्र, आयु प्रमाण के लिए: मैट्रिकुलेशन सर्टिफिकेट, पासपोर्ट या फिर जन्म प्रमाण पत्र. एड्रैस के लिए आधार कार्ड या अन्य कोई डॉक्यूमेंट. एक ऐफिडेविट साथ ही 2 पासपोर्ट साइज़ फोटो. एक शादी की फोटो उसके साथ शादी का कार्ड, पुजारी से शादी का सर्टिफिकेट, मौलवी द्वारा दिया गया निकाहनामा . इसके साथ ही एक गवाह का होना भी अनिवार्य है. अगर किसी की दूसरी शादी है तो डिवोर्स डॉक्यूमेंट या फिर डेथ सर्टिफिकेट होना जरूरी है.
हिंदू-मुस्लिम के लिए अलग हैं नियम?
हिंदू मैरिज हो या मुस्लिम मैरिज हो दोनों ही शादियों के रजिस्ट्रेशन के लिए प्रक्रिया लगभग समान है. लेकिन हिंदू विवाह जहाँ हिंदू मैरिज ऐक्ट के तहत होती है. वहीं मुस्लिम मैरिज मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के तहत होती है. मुस्लिम शादियाँ स्पेशल मैरिज ऐक्ट 1954 के तहत रजिस्टर होती हैं. जहाँ हिंदू मैरिज ऐक्ट के तहत एक ही दिन में सारी प्रक्रिया होकर शादी रजिस्टर हो जाती है.
वहीं मुस्लिम शादियों के रजिस्ट्रैशन के लिए 30 दिन पहले नोटिस देकर दस्तावेज जमा करने होते हैं. फिर अगर 30 दिन के अंदर लड़का-लड़की दोनों में किसी की ओर से कोई आपत्ति नहीं दर्ज की जाती. तब 30 दिन बाद शादी मान्य हो जाती और सर्टिफिकेट दे दिया जाता है.
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