शहरों रहने वाले लोग आजकल क्रेडिट कार्ड जरूर रखते हैं. इससे उनके खर्च करने की क्षमता तो बढ़ती ही है और जरूरत पर भी क्रेडिट कार्ड काम आ जाता है. हालांकि, क्रेडिट कार्ड के ड्यू अमाउंट का समय पर भुगतान न किया जाए तो लेने के देने पड़ जाते हैं. इसलिए क्रेडिट कार्ड रखने वाले लोगों को इसके सही इस्तेमाल के बारे में भी पता होना चाहिए.
जब भी आप क्रेडिट कार्ड के बिल को पे करने चलते हैं तो आपको दो चीजें दिखेंगी. एक होगा आपका टोटल बिल और दूसरा मिनिमम अमाउंट ड्यू (Minimum Amount Due) का ऑप्शन. अक्सर लोग मिनिमम ड्यू अमाउंट चुकाकर सोचते हैं कि उन्हें क्रेडिट कार्ड के बिल से छुट्टी मिल गई, लेकिन ऐसा बिल्कुल भी नहीं है. अगर आप बार-बार मिनिमम अमाउंट ड्यू ही पे करते हैं तो आपका सिबिल स्कोर भी बिगड़ सकता है.
क्या होता है मिनिमम अमाउंट
जब भी आप क्रेडिट कार्ड से खरीदारी करते हैं तो उसका बिल भरने की एक साइकिल होती है. इस अवधि में आपको पूरा पेमेंट करना होता है. हालांकि, जब भी आपके क्रेडिट कार्ड का बिल जनरेट होता तो आपको मिनिमम अमाउंट पे करने का भी ऑप्शन मिलता है. यह आपके टोटल बिल का छोटा सा हिस्सा होता है. अगर आप अपने क्रेडिट कार्ड के बिल का मिनिमम अमाउंट पे करते हैं तो इसे हर हाल में अंतिम समय सीमा तक चुकाना होता है. हालांकि, मिनिमम अमाउंट पे करने पर आपको बिल अमाउंट पर इंटरेस्ट देना पड़ता है.
सिबिल पर पड़ता है कितना असर
आम तौर पर मिनिमम अमाउंट पे करने से आपके सिबिल पर असर नहीं पड़ता है, लेकिन अगर आप बार-बार ऐसा करते हैं तो आपका क्रेडिट स्कोर खराब हो सकता है. दरअसल, मिनिमम अमाउंट पे करने से आपके बचे अमाउंट पर इंटरेस्ट पड़ता है. अगर बार-बार ऐसा करते हैं तो आप एक तरह से कर्ज के जाल में फंसते जाते हैं. दरअसल, ऐसी स्थिति में कर्ज की रकम घटने की बजाय बढ़ती जाती है, जिसका असर सिबिल स्कोर पर पड़ता है और बैंक आपको ऐसे ग्राहक के रूप में पहचानेंगे, जिसके पास लिक्विडिटी कम है.
यह भी पढ़ें: बिना इस दस्तावेज के नहीं बनेगा पासपोर्ट, सरकार ने नियमों में किया बदलाव