Indian Railway: ट्रेन या रेलवे परिसर में गुटखा खाकर थूका या फिर पी शराब तो लगेगा इतने रुपए का जुर्माना, पढ़ें जरूरी बात
विभिन्न नियम, कायदे और कानून के अनुसार यात्रियों को भारतीय ट्रेन में सफर करने की अनुमति मिलती है. इन नियमों की धज्जियां उड़ाने वालों के खिलाफ रेलवे ने जुर्माना और जेल की सजा तक का प्रावधान रखा है.
Provisions Of Railway Act 1989: रेलवे परिसर या ट्रेन के अंदर किसी भी तरह का नशा करना बहुत भारी पड़ सकता है. ऐसा करने पर जुर्माने के साथ-साथ जेल तक की हवा खानी पड़ सकती है. नशे के अलावा किसी यात्री से अभद्रता, गाली-गलौज करने जैसे मामले में भी यही नियम लागू होते हैं. भारतीय रेलवे ने ऐसे मामलों से निपटने के लिए 1989 के रेलवे एक्ट को लागू कर रखा है. जिसमें तरह-तरह के अपराध और उस पर दंड के प्रावधान लिखे हुए हैं. आज हम बात कर रहे हैं ट्रेन या रेल परिसर में नशा करने के मामले में किन-किन प्रावधानों के तहत सजा होती है.
बता के रेल अधिनियम 1989 की धारा 145 ट्रेन या फिर रेलवे परिसर में नशीले पदार्थों का सेवन करने पर अपराध और दंड देने का प्रावधान लागू करती है. अगर नशा करके कोई व्यक्ति ट्रेन के अंदर उपद्रव करता है. अश्लील भाषा का प्रयोग करता है. किसी यात्री को परेशान करता है तो उसे धारा 145 के तहत दंड दिया जाएगा. ऐसे व्यक्ति को 500 रुपये जुर्माना और 6 महीने तक की जेल की सजा सुनाई जा सकती है. रेलवे कोर्ट गंभीर मामलों में जुर्माने की राशि बढ़ा भी सकती है. कार्यवाही के दौरान कोई रेल सेवक या रेलवे सुरक्षा बल रेल यात्रा से वंचित करके संबंधित व्यक्ति की टिकट भी जब्त कर लेगा.
धूम्रपान से निपटने के लिए है धारा 167
चलती ट्रेन में धूम्रपान करने से आग लगने की संभावना भी रहती है. वहीं यदि आग लग जाए तो लाखों के नुकसान के साथ-साथ समय की बर्बादी और ट्रेनों का परिचालन प्रभावित हो जाता है. रेल अधिनियम की धारा 167 धूम्रपान जैसे मामलों से निपटने के लिए बनाई गई है. इसके तहत ट्रेन के अंदर धूम्रपान करना भी दंडनीय अपराध है. धूम्रपाल के गंभीर मामलों में जेल तक की सजा हो सकती है.
गुटखा खाकर थूकने पर लगता है जुर्माना
ट्रेन के अंदर या रेलवे परिसर में गुटखा खाना और थूकना दोनों ही प्रतिबंधित है. ऐसे मामलों में भारतीय रेलवे संबंधित व्यक्ति पर जुर्माना लगाता है. यह जुर्माने की राशि अलग-अलग भी है. बड़े और महत्वपूर्ण रेलवे स्टेशनों पर जुर्माने की राशि पांच गुना तक बढ़ाई गई है. इसका मकसद यह है कि लोग गुटखा खार इधर उधर न थूंके. विगत सालों से बढ़ रही सख्ती का ही नतीजा है कि रेलवे की यात्रा में बहुत कम लोग गुटखा खाते हुए दिखते हैं.
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