Indian Railway Train Blanket: भारतीय रेलवे दुनिया की चौथी सबसे बड़ी रेल व्यवस्था है. रोजाना भारत में करोड़ों यात्री ट्रेन से जाते हैं. ट्रेन में लोगों की सहूलियत के हिसाब से कोच लगाए गए होते हैं. अगर किसी के पास यात्रा करने के लिए ज्यादा पैसे न हो तो वह जनरल कोच में सफर कर सकता है. यह ट्रेन का अनरिजर्वड कोच होता है. इसमें आपको रेलवे की ओर से सुविधा न के बराबर मिलती ैहै. इसके बाद स्लीपर जिसका टिकट जनरल कोच से थोड़ा महंगा होता है.


इसमें आपको बैठने और सोने की बढिया व्यवस्था होती है. फिर आता है एसी कोच, यह सबसे महंगा होता है. तो इसमें आपको सुविधा भी उसी हिसाब से मिलती है. सफर के दौरान इसमें आपको कंबल और चादर भी दिए जाते हैं. लेकिन जो चादर और कंबल आपको एसी कोच में मिलते हैं. आपने सोचा है क्या वह धुले हए होते हैं या नहीं. रेलवे इन चादर और कंबल कितने दिन बाद धोती है. खुद रेल मंत्री ने दिया है इसका जवाब. 


महीने में इतने बार धुलता है कंबल 


अगर आप ट्रेन के एसी कोच में सफर करते हैं. तो आपको ट्रेन में तकिया, चादर और कंबल दिया जाता है. ज्यादातर तो आपको यह साफ स्थिति में ही मिलते हैं. लेकिन कई बार यात्रियों ने इनके गंदे होने की भी शिकायत की होती है. इसी को लेकर लोकसभा में राजस्थान के गंगानगर से कांग्रेस पार्टी के सांसद कुलदीप इंदौरा ने रेल मंत्री से सवाल किया था. 'क्या कंबल या ब्लैंकेट महीने में केवल एक बार धोए जाते हैं जबकि यात्री तो बेसिक स्वच्छता स्टैंडर्ड को पूरा करने वाले बिस्तर के लिए भुगतान तो ही कर रहे हैं.'


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इसके जवाब में रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा 'रेल यात्रियों को दिए जाने वाले कंबलों को महीने में कम से कम एक बार धोया जाता है और रजाई कवर के रूप में उपयोग के लिए बेडरोल किट में एक अतिरिक्त बेडशीट भी प्रदान की जाती है.' यानी ट्रेन में आपको जो चादर और तकिया मिलता है वह लगभग रोजाना धुलता है. लेकिन कंबल एक महीने में एक बार. 


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ट्रेन में दिये जाएं गंदे कंबल तो करें शिकायत 


भारतीय रेलवे अब यात्रियों को काफी सहूलियतें दे रहा है. रेलवे की ओर से यात्रियों के लिए कंप्लेंट पोर्टल भी काफी आसान बना दिया गया है. यात्री को अगर ट्रेन में यात्रा के दौरान किसी तरह की कोई परेशानी होती है. तो वह कंप्लेंट कर सकता है. इसके अलावा अगर किसी को ट्रेन में गंदे कंबल, चादर या तकिया मिलता है. तब भी वह रेल मदद पर कंप्लेंट कर सकता है. 


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