ट्रेन में कहां लग रहा है कवच सिस्टम 4.0, जिससे टल सकते हैं कई बड़े हादसे
Automatic Train Protection Kavach 4.0: रेलवे ने सुरक्षा कवच 4.0 का सफल ट्रायल कर लिया है. अब हादसों में आएगी कमी. जानें ट्रेन में कहां लगाया जाएगा कवच 4.0.
Automatic Train Protection Kavach 4.0: भारतीय रेलवे दुनिया की चौथी सबसे बड़ी रेल व्यवस्था है. रोजाना रेलवे से करोड़ों लोग सफर करते हैं. जिनके लिए रेलवे हजारों ट्रेनें चलाती है. जो उनको उनकी मंजिल तक पहुंचाती है. लेकिन पिछले कुछ अरसे से देखा जाए. तो भारत में बहुत से ट्रेन हादसे देखने को मिले हैं. जिनमें कई लोगों की जान भी गई है. पिछले एक साल की बात की जाए.
तो भारत में तीन बड़े ट्रेन हादसे हुए हैं. जिनमें 300 से ज्यादा लोगों ने अपनी जान गंवाई है. लेकिन अब भारत में रेल हादसे होने की संभावना कम होती जा रही है. क्योंकि भारतीय रेलवे ने कवच सिस्टम तैयार कर लिया है. जो हादसों को रोकेगा. रेलवे ने कवच 4.0 भी बना लिया है. कहां लगाया जाएगा यह कवच 4.0 और किस तरह यह बचाएगा ट्रेन को हादसे से. चलिए आपको बताते हैं.
कहां लगाया जाएगा कवच 4.0?
अभी कुछ दिनों पहले ही भारत के रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने ऑटोमेटिक ट्रेन प्रोटक्शन सिस्टम कवच 4.0 का सक्सेसफुल ट्रायल कर लिया है और अब दिल्ली मुंबई रेल लाइन को ऑटोमेटिक ट्रेन प्रोटक्शन सिस्टम कवच 4.2 से लैस किया जा रहा है. यह सिस्टम पूरी तरह से ऑटोमेटिक होगा और यह माॅर्डन सुरक्षा प्रणाली पर काम करेगा. जो ट्रेन हादसों को रोकने नें मदद करेगा.
10 हजार से भी ज्यादा ट्रेनों पर यह कवच लगाया जाएगा. अक्सर कई लोगों के मन में एक सवाल भी आता है कि ट्रेनों में कवच कहां लगाया जाता है. तो आपको बता दें ट्रेन में कवच इंजन पर लगाया जाता है. और ऑटोमेटिक प्रोटक्शन सिस्टम कवच 4.0 भी इंजन पर ही लगाया जाएगा. जो कि पहले ही हादसे को भांप लेगा औ उसे रोकने के लिए काम करेगा.
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कैसे काम करेगा कवच 4.0?
रेलवे का कवच 4.0 पूरी तरह ऑटोमेटेड प्रोटेक्शन सिस्टम है.यह नई आधुनिक तकनीक पर आधारित है. यह सिस्टम ट्रेन की निर्धारित स्पीड से 2 किमी प्रतिघंटा से ज्यादा की स्पीड होने पर कवच ओवर स्पीड अलार्म बजा देगा. तो वहीं अगर ट्रेन की निर्धारित स्पीड से 5 किमी प्रतिघंटा से ज्यादा होगी तो फि ऑटोमैटिक ब्रेक लग जाएंगे.
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अगर ट्रेन निर्धारित स्पीड से 9 किमी प्रतिघंटा से ज्यादा की स्पीड पर पहुंचेगी तो फिर ऐसा होने पर पर खुद इमरजेंसी ब्रेक लग जाएंगे. कवच सिस्टम 4.0 पर इंटरलॉकिंग लगाई गई है. जिससे अगले सिग्नल रेडियो वेव्स के जरिए से सीधे इंजन तक पहुंचेगी. इससे पायलट सिग्नल को 160 किमी प्रतिघंटे की रफ्तार पर भी आसानी से पढ़ लेगा. पायलट को लाइन पर लगे सिग्नल के भरोसे नहीं रहना होगा.
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