Indian Railway Rules: भारतीय रेलवे में रोजाना 2.5 करोड़ यात्री सफर करते हैं. जो स्विट्जरलैंड जैसे देश की जनसंख्या से चार गुना ज्यादा है.  भारतीय रेलवे में रोजाना 13000 के करीब यात्री ट्रेनें चलाई जाती है. जो लगभग 7000 हजार स्टेशनों को कवर करती हैं. रेलने द्वारा यात्रियों को बहुत सी सहूलियतें दी जाती है. जिससे यात्रियों का सफर आरामदायक होता है.


अक्सर जब लोगों को कम दूरी का सफर तय करना होता है. तो वह ट्रेन से जाना पसंद करते हैं. ट्रेन की टिकट फ्लाइट के मुकाबले सस्ती होती है. लेकिन फ्लाइट और ट्रेन में सुविधाओं में थोड़ा फर्क होता है. फ्लाइट की टिकट बुकिंग करते वक्त आपको अपनी मर्जी की सीट चुनने का अधिकार होता है. लेकिन आपको ट्रेन में यह सुविधा नहीं दी जाती. आखिर क्या है इसके पीछे वजह चलिए जानते हैं. 


साॅफ्टवेयर इस हिसाब से करता है बुकिंग


भारतीय रेलवे में ट्रेन की बुकिंग की बात की जाए तो वह सॉफ्टवेयर पर आधारित होती है. क्योंकि रेलवे द्वारा ट्रेन की सुरक्षा पहली प्राथमिकता होती है. ट्रेन लगातार दौड़ती रहती है ऐसे में ट्रेन का बैलेंस बनाए रखना जरूरी होता है.  इसीलिए जब कोई ट्रेन की टिकट बुक करता है. तो कोच के बीच की सीटें पहले बुक होती है. 


ताकि ट्रेन का बैलेंस बना रहे. इसके बाद दोनों साइट और आगे पीछे की सीटें बुक होती है. वहीं अगर यात्रियों के बैठने के हिसाब से बात की जाए तो सबसे पहले लोअर बर्थ की सीटें बुक होती है. यही मुख्य कारण है कि रेलवे में यात्रियों को फ्लाइट की तरह सीटें अपनी पसंद के हिसाब से बुक करने का ऑप्शन नहीं मिलता.


एल्गोरिदम पहले से ही होता है तय


भारतीय रेलवे में ट्रेनों की बुकिंग के दौरान जो सॉफ्टवेयर काम करता है वह पहले ही तय एल्गोरिदम पर काम करता है. यानी ट्रेन के किसी कोच में जब भी पहली बुकिंग होती है. वह कोच के बीच वाली सीटों से शुरू होती है. इसी तरीके से ट्रेन के सभी कोचों में बुकिंग होती है. ताकि ट्रेन का बैलेंस स्थिर बना रहे. 


सेंटर फोर्स का रखना होता है ध्यान


ट्रेन बुकिंग साॅफ्टवेयर इस तरह से सीटें बुक करता है. जिससे ट्रेन के सभी कोचों पर बराबर वजन हो. अगर ट्रेन में अल्फाबेटिकल ऑर्डर से बुकिंग होगी तो फिर ट्रेन के पहले कोच में ज्यादा यात्री होंगे, फिर उसके आगे वाले, ऐसे ही सीरीयल वाइज यात्री बढ़ते जाएंगे. अगर ऐसा होता है. तो ट्रेन के आगे के कोचों पर ज्यादा यात्रियों के होने के चलते सेंटर फोर्स बढ़ जाएगा. जिससे ट्रेन के कोचों की पटरी से उतरने की संभावना बढ़ा जाएगी. 


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