Indian Railway Rules: अक्सर जब लोगों को कम दूरी का सफर तय करना होता है. तो वह ट्रेन से ट्रैवल करना पसंद करते हैं. क्योंकि अक्सर शहरों में एयरपोर्ट थोड़ी दूरी पर होते हैं. ऐसे में लोग एयरपोर्ट तक आने-जाने में समय बर्बाद करने से बेहतर रेलवे स्टेशन पर जाकर उतने ही समय में अपनी डेस्टिनेशन पर पहुंचना पसंद करते हैं. 


सामान्य तौर पर भी बहुत से लोग पैसे बचाने के लिए भी फ्लाइट की जगह ज्यादातर ट्रेन से सफर करना पसंद करते हैं.  भारतीय रेलवे दुनिया की चौथी सबसे बड़ी रेल व्यवस्था है. भारत में रोजाना तकरीबन ढाई करोड़ यात्री ट्रेन से सफर करते हैं.


हजारों की तादाद में रोजाना ट्रेनें पटरियों पर दौड़ती हैं. आपने भी अगर ट्रेन में सफर किया होगा. तो आपको सफर के दौरान आपकी टिकट चेक की गई होगी. रेलवे में टीटीई और टीसी दोनों ही टिकट चेक करते हैं. क्या होता है दोनों में अंतर चलिए जानते हैं. 


टीटीई ट्रेन में करता है टिकट चेक


अगर आप ट्रेन में यात्रा करते होंगे. तो अक्सर अपने काले कोट में एक व्यक्ति को यात्रियों की टिकट चेक करते हुए देखा होगा. यह होता है टीटीई जिसे टिकट ट्रैवलिंग टिकट एग्जामिनर कहा जाता है. टीटीई का काम होता है ट्रेन के अंदर बैठे यात्रियों की टिकट चेक करना उनकी आईडी जांच करना. इसके साथ ही वह यह चेक करते हैं. सभी यात्री अपनी सही सीटों पर बैठे हैं कि नहीं.


इसके साथ ही किसी यात्री को कोई समस्या तो नहीं हो रही. यह भी देखना टीटीई का ही काम होता है. अगर आपको टीटीई की पहचान करनी है. तो फिर आप टीटीई के काले कोट पर लगे हुए बैज को देख सकते हैं. उसपर उनके नाम के साथ-साथ उनके पद का भी जिक्र होता है. 


टीसी स्टेशन परिसर में करता है चेकिंग


टीसी की बात की जाए तो टीसी का भी काम कुछ-कुछ टीटीई की तरह ही होता है. टीसी का फुल फॉर्म होता है टिकट कलेक्टर. जहां टीटीई ट्रेन के अंदर टिकट और व्यवस्था चेक करता है. तो वहीं टीसी का काम होता है.


प्लेटफार्म और स्टेशन परिसर के अंदर यात्रियों की टिकट चेक करना होता है. बता दें कि भारतीय रेलवे के बनाए गए नियमों के अनुसार टीसी को ट्रेन के अंदर जाकर यात्रियों की टिकट चेक करने की अनुमति नहीं होती है. 


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