IRCTC Stopped Compensation In Private Trains: अगर आप भारतीय रेलवे सफर करते हैं. आपकी ट्रेन लेट हो जाती है. और आप यात्रा नहीं कर पाते. तो ऐसे में रेलवे की ओर से आपको मुआवजा दिए जाने का प्रावधान होता है. लेकिन राइट टू इनफार्मेशन के तहत मिली जानकारी से यह पता चला है कि रेलवे ने कुछ ट्रेनों में इस सुविधा को देना बंद कर दिया है.


यानी अगर आप भारतीय रेलवे की कुछ खास ट्रेनों में सफर करने वाले हैं. तो वह ट्रेनें अगर लेट होती हैं. तो फिर रेलवे की ओर से आपको किसी भी तरह का कोई हर्जाना मुहैया नहीं करवाया जाएगा. चलिए आपको बताते हैं आईआरसीटीसी ने किन ट्रेनों में गुपचुप तरीके से हर्जाने की योजना को कर दिया है बंद.


प्राइवेट ट्रेनों में लेट होने पर नहीं मिलेगा हर्जाना


भारतीय रेलवे के नियमों के मुताबिक अगर आप ट्रेन से सफर कर रहे हैं और आपकी कोई ट्रेन लेट हो जाती है जिस वजह से आप सफर नहीं कर पाए. तो रेलवे आपको नियमों के मुताबिक  हर्जाना चुकाती है. लेकिन अब भारतीय रेलवे की ओर से प्राइवेट ट्रेनों को लेकर यह योजना लागू नहीं होगी. प्राइवेट ट्रेनों की बात की जाए तो साल 2019 में भारत में पहली प्राइवेट ट्रेन चलाई गई थी, लखनऊ से दिल्ली जाने वाली तेजस एक्सप्रेस प्राइवेट ट्रेन है. आईआरसीटीसी की ओर से प्राइवेट ट्रेनों का संचालन इस मकसद के साथ शुरू किया गया. ताकि ट्रेनों को और आकर्षित बनाया जा सके. लेकिन अब इन ट्रेनों के लेट पर इनमें यात्रा करने वाले यात्रियों को आईआरसीटीसी की ओर से हर्जाना नहीं मिलेगा. 


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वजह नहीं बताई गई


आईआरसीटीसी से मिली जानकारी के मुताबिक साल 2023-24 में भारतीय रेलवे की ओर से हर्जाने के तौर पर 15.65 लाख रुपये दिए गए हैं. दायर की गई आरटीआई के जवाब में आईआरसीटीसी ने इस बारे में जानकारी दी कि अब आईआरसीटीसी की ओर से प्राइवेट ट्रेनों में देरी से चलने पर यात्रियों को हर्जाना देने की सुविधा बंद कर दी गई है. 15 फरवरी 2024 को इस योजना को प्राइवेट ट्रेनों के लिए बंद कर दिया गया था. हालांकि आईआरसीटीसी ने गोपनीयता की नीति की बात कहते हुए इसका कारण नहीं बताया है. 


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इतना मिलता था हर्जाना


आईआरसीटीसी की ओर से प्राइवेट ट्रेन में हर्जाने के तौर पर दिए जाने वाली राशि के बारे में बताया गया है कि 60 से 120 मिनट की देरी पर 100 रुपये दिए जाते थे. तो वहीं 120 से 240 मिनट लेट होने पर यात्रियों को 250 रुपये दिए जाते थे.


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