Knowledge Of Northern Central Railway: भारत देश अपनी आजादी के 75वें वर्ष पर आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है. इसकी मूल वजह है कि भारत देश के उन स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों और क्रांतिकारियों को याद करते हुए हम आगे बढ़ें, जिन्होंने भारत को आजादी दिलाई है. इसी कड़ी में देश के विभिन्न सरकारी उपक्रम और गैर सरकारी संगठन इस मुहिम में शामिल हो गए हैं. यहां हम आपको बता रहे हैं कि देश आजाद होने से पहले आजादी का नारा कैसे एक बड़े जन आंदोलन के रूप में तब्दील हो गया. महान क्रांतिकारियों के किस्से और उनकी यादें भारतीय रेलवे से जुड़ी हुई हैं. इसी कड़ी में हम आपको उत्तर मध्य रेलवे के उन रेलवे स्टेशनों और शहरों के बारे में बताएंगे. जहां आजादी के समय क्रांतिकारियों ने अंग्रेजों को खदेड़ने के लिए नींव तैयार की. इसी की बदौलत आज भारत आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है.


प्रयागराज (इलाहाबाद) का इतिहास


आजादी की शुरुआती लड़ाई में प्रयागराज (इलाहाबाद) क्रांतिकारियों की यात्राओं का गवाह रहा है. 1896 में महात्मागांधी पहली बार इलाहाबाद पहुंचे. यहां 1931 में महान क्रांतिकारी चंद्रशेखर भी पहुंचे. जिन्होंने राष्ट्र के लिए अपना जीवन बलिदान कर दिया. 1857 में मौलवी लियाकत अली ने आजादी की लौ हर दिल में जगाई. इसके अलावा कई मशहूर क्रांतिकारियों की यह कार्यस्थली रह चुकी है.


आगरा ने विद्रोह की चिंगारी को बनाया शोला


1857 में आगरा ने विद्रोह की चिंगारी को शोला बनते हुए देखा है. यहां कई क्रांतिकारियों की यादें जुड़ी हुई हैं. अंग्रेजों को उखाड़ फेंकने के लिए आगरा के मोहल्लों में विभिन्न रणनीतियां बनाई गई थीं. नूरी दरवाजा, चंद्रशेखर आजाद, सरदार भगत सिंह, राजगुरू, बटुकेश्वर दत्त के लिए आगगरा शरण स्थली बना था. इन सभी क्रांतिकारियों ने अंग्रेजों के लिए ऐसा बिस्फोट तैयार किया था. जिसकी गूंज इंग्लैंड तक सुनाई दी थी. यही गूंज जब भारत में युवाओं तक पहुंची तो राष्ट्वाद की चेतना फलने फूलने लगी.


मथुरा का फरह स्टेशन भी है खास


मथुरा के पास फरह स्टेशन एकात्म मानववाद के प्रेरणा स्त्रोत पं. दीनदयाल उपाध्याय की यादों को जोड़ता है. वर्ष 1916 में फरह के नगला चंद्रभान में उनका जन्म हुआ था. पूरे देश में राष्ट्रवाद की अलख जगाने वाले नायक के सम्मान में 2017 में फरह टाउन स्टेशन को दीनदयाल धाम स्टेशन के रूप में बदल दिया गया.


झांसी वाली रानी की अमर है गाथा


झांसी रेलवे स्टेशन का नाम अब वीरांगना लक्ष्मीबाई झांसी स्टेशन कर दिया गया है. यह रेलवे स्टेशन झांसी वाली रानी लक्ष्मीबाई की गाथा को बयां करता है. झांसी पहुंचने पर यात्रियों को झांसी वाली रानी के गीत सुनकर मन देशभक्ति में डूब जाएगा.


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