550-650, 750 या 850? लोन के लिए कितना क्रेडिट स्कोर होना जरूरी, इससे ईएमआई पर कैसे पड़ता है असर
Credit Score Risk Grades: क्रेडिट स्कोर से होती है आपकी रिस्क ग्रेड कैलकुलेट. जाने क्रेडिट स्कोर कैसे आपके लोन की ब्याज दर को बढ़ा और कम कर सकता है. कैसे पाएं अच्छा क्रेडिट स्कोर. चलिए बताते हैं.
Credit Score Risk Grades: जो लोग भी लोन ले चुके हैं या लोन लेने की सोच रहे हैं. उन सभी को क्रेडिट स्कोर के बारे में जरूर पता होगा. क्रेडिट स्कोर लोन के लिए कितना जरूरी होता है. उसकी क्या इंपोर्टेंस होती है. यह समझना जरूरी है. आमतौर पर लोग कहते हैं आपका क्रेडिट स्कोर आपके लोन की ब्याज दर को प्रभावित करता है. एक अच्छा क्रेडिट स्कोर आपको कम ब्याज दर पर बेहतरीन लोन ऑफर्स दिलवाता है.
अगर आपका क्रेडिट स्कोर कम होता है. तो आपको ज्यादा ब्याज दर पर लोन मिलता है. लोन देने वाले बैंक और कंपनियां रिस्क ग्रेड के हिसाब से लोन देते हैं. जिनका कम रिस्क ग्रेड होता है. उन्हें अच्छी ब्याज दर पर लोन मिलता है. चलिए आपको बताते हैं रिस्क ग्रेड और क्रेडिट स्कोर का क्या कनेक्शन होता है. यह कैसे कैलकुलेट होती हैं. इससे किस तरह ब्याज बढ़ता है और आप उसे कम करने के लिए क्या कर सकते हैं.
क्रेडिट स्कोर में शुरू में होती है दिक्कत
बैंक बाजार के सीईओ आदिल शेट्टी ने बताया कि अगर आपने कोई लोन नहीं लिया, कोई क्रेडिट कार्ड नहीं बनवाया तो आप एक एनटीसी है यानी न्यू टू क्रेडिट हैं. आपका जो सिबिल स्कोर होता है वह आपको 1 असाइन किया जाता है. लेकिन अगर आपकी क्रेडिट हिस्ट्री बहुत कम है. मान लीजिए 6 महीने से भी कम है. तो आपका सिबिल स्कोर जीरो भी हो सकता है. लेकिन यह बुरी बात नहीं है क्योंकि हर हर चीज जीरो से ही शुरू होती है.
लेकिन इस वजह से आपको अस्थाई तौर पर चुनौतियों का सामना करना पड़ता है. बैंक आपको अच्छे क्रेडिट स्कोर के मुकाबले ज्यादा ब्याज दर पर लोन मुहैया करवाते हैं. अगर कंपेयर करें तो एक एनटीसी यानी न्यू टू क्रेडिट व्यक्ति को 700 से लेकर 749 तक के सिबिल स्कोर के बराबर इंटरेस्ट रेट मिलती है.
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750 से ऊपर मिलते हैं बेस्ट ऑफर
बैंक बाजार के सीईओ आदिल शेट्टी के मुताबिक 750 से ऊपर का सिबिल स्कोर एक बेहतरीन बेंचमार्क माना जाता है. अगर आपका सिबिल स्कोर इससे ज्यादा है. तो ज्यादातर लोन देने वाले आपको अच्छी इंटरेस्ट रेट पर लोन देते हैं. हालांकि इसमें अलग-अलग लोन देने वाली कंपनियों और बैंक के हिसाब से फेर बदल भी हो सकते हैं. कुछ लोन देने वाले 800 या 810 को अच्छा बेंचमार्क मानते हैं. जिनका सिविल स्कोर इतना होता है. उन्हें सुपर प्राइम उधारकर्ता कहा जाता है.
जिनकी फाइनेंसियल कंडीशन उनकी हाई क्रेडिट एबिलिटी दिखाती है. जो कि टाइम पर पेमेंट करते हैं और सही तरीके से अपने लोन को मैनेज करते हैं. इस क्रेडिट स्कोर को हासिल करना कोई मुश्किल काम नहीं है. आपके पास एक सुरक्षित लोन जैसे होम लोन और असुरक्षित लोन जैसे क्रेडिट कार्ड का मिक्स अप होना चाहिए. इन लोन का टाइमली पेमेंट करने पर आप सुपर प्राइम की कैटेगरी में आ सकते हैं.
750 से कम है तो करनी होगी मेहनत
750 का क्रेडिट स्कोर तब होता है. जब आपको क्रेडिट इस्तेमाल करने का एक्सपीरियंस नहीं होता. आप बहुत ज्यादा क्रेडिट लिमिट खर्च कर देते हैं. और शायद कुछ पेमेंट समय पर नहीं होती. वह लेट पेमेंट हो जाती हैं. इसीलिए आपको सावधानी बरतनी चाहिए. अगर आप अपनी क्रेडिट आदतों को ठीक कर लेते हैं. तो आप कुछ ही समय में 750 के ऊपर पहुंच जाएंगे. लेकिन अगर आप फिर लेट पेमेंट करते हैं और अपने क्रेडिट लिमिट को ज्यादा इस्तेमाल कर लेते हैं. तो फिर आपका क्रेडिट स्कोर और भी कम हो सकता है.
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700 से कम परेशानी के संकेत
अगर आपका क्रेडिट स्कोर 600 के आसपास पहुंच गया है. तो फिर लेट पेमेंट के अलावा और भी कई दिक्कतें हैं जिस वजह से ऐसा हुआ है. हो सकता है आपने कोई लोन डिफॉल्ट कर दिया हो और लोन देने वाले से लोन सेटेलमेंट ऑफर ले लिया हो. यह सिचुएशन अच्छी नहीं है. क्योंकि आप इस क्रेडिट स्कोर पर लोन लेंगे. तो आपको बहुत हाई इंटरेस्ट रेट मिलेंगे. क्योंकि आप एक हाई रिस्क बोरोअर के तरह नजर आएंगे. जिस वजह से लोन देने वाली कंपनियों और बैंक आपको हाई इंटरेस्ट रेट पर लोन देगी.
इससे बचने के लिए यह तरीका है कि आपको अपना पिछला पूरा बकाया चुकाना होगा. पूरी प्रोसेसिंग फीस, जुर्माने और इंटरेस्ट रेट के साथ. इसके साथ ही आपको यह भी ध्यान रखना होगा कि फ्यूचर में आप जो भी पेमेंट करें वह सारी पेमेंट सही टाइम पर हों. इस दौरान आप हर महीने अपना क्रेडिट स्कोर एक बार जरूर चेक करें ताकि आपको पता चला रहे.
600 से कम में लोन मिलना मुश्किल होगा
अगर आपका क्रेडिट स्कोर 600 से भी कम हो गया है, तो इसका कारण डिफॉल्ट और इसके साथ ही आपकी नेगेटिव क्रेडिट हिस्ट्री हो सकती है. बैंकों में रिस्क ग्रेडिंग का सिस्टम होता है जिस वजह से शायद बैंक आपको होम लोन ना दें. लेकिन नॉन बैंकिंग फाइनेंशियल कंपनियों में पत्रताओं के नियम कुछ अलग होते हैं. वहां से आपको लोन मिल सकता है. लेकिन उसके लिए आपको बहुत ज्यादा ब्याज चुकाना होगा.
क्या है बैंक बाजार?
बता दें कि बैंक बाजार एक व्यक्तिगत फाइनेंस मैनेजमेंट ऐप है, जो आपके मंथली खर्चों को खुद-ब-खुद ट्रैक करता है. ट्रैकिंग का यह तरीका एकदम सेफ होता है. इसके अलावा अगर आप कोई गलत लेन-देन करते हैं या किसी पेमेंट पर आपको जुर्माना देना पड़ता है तो यह ऐप यूजर को जानकारी भी देता है.
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