Schemes For Orphan Children: भारत सरकार देश के लोगों के लिए बहुत सी योजनाएं चलाती है. अलग-अलग लोगों की अलग-अलग जरूरत को देखते हुए सरकार योजनाएं लेकर आती है. इनमें से बहुत सी योजनाएं जरूरतमंद लोगों के लिए होती हैं. साल 2019 में जब कोविड महामारी ने पूरी दुनिया को अपनी चपेट में ले लिया था. उस दौरान बहुत से लोगों ने अपनी ही जान गंवा दी थी. इनमें कई बच्चों के माता-पिता की भी मौत हो गई थी.
जिस वजह से बहुत से बच्चे अनाथ हो गए थे. इसे देखते हुए कई राज्यों ने इन बच्चों के लिए स्कीमें शुरू कीं जिनमें मध्य प्रदेश सरकार ने भी बाल सेवा योजना शुरू की. जिसमें में अनाथ बच्चों को हर महीने 5000 रुपये दिए जाते हैं. लेकिन कुछ समय से इस योजना को लेकर सवाल उठ रहे हैं. चलिए आपको बताते हैं क्यों सुर्खियों में हैं मध्य प्रदेश की बाल सेवा योजना और भारत के किन राज्यों में चलाई जाती है इस तरह की योजनाएं.
एमपी में अनाथ बच्चों को 6 महीने से नहीं मिले योजना के पैसे
मध्य प्रदेश में कोविड महामारी के दौरान अनाथ हुए बच्चों के लिए बाल सेवा योजना चलाई जाती है. इस योजना के तहत बच्चों को हर महीने 5000 रुपये की पेंशन दी जाती है. लेकिन पिछले 6 महीनों से राज्य सरकार की ओर से इन बच्चों को पेंशन की राशि जारी नहीं की गई है. लोकसभा चुनाव के दौरान सरकार ने कहा था आचार संहिता लगने के चलते राशि नहीं दी जा पा रही है.
लोकसभा चुनाव खत्म होते ही बच्चों के खाते में राशि भेज दी जाएगी. लोकसभा चुनाव खत्म होने के बाद तब तक 6 महीने हो चुके हैं. लेकिन इन बच्चों को राशि नहीं भेजी गई है. योजना में कुल 1326 बच्चे शामिल हैं. मध्य प्रदेश के राज्य स्वास्थ्य मंत्री नरेंद्र शिवाजी पटेल ने कहा है कि जल्द ही इन बच्चों को राशि दे दी जाएगी.
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इन राज्यों में भी चल रही हैं अनाथ बच्चों के लिए योजनाएं
मध्य प्रदेश के अलावा उत्तर प्रदेश में भी कोविड महामारी के दौरान अनाथ हुए बच्चों के लिए स्कीम चलाई जाती है. इस स्कीम का नाम है मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना, जिसमें बच्चों को हर महीने 4000 रुपये दिए जाते हैं. तो उसके साथ ही कक्षा 12वीं तक उनकी पढ़ाई का खर्चा भी सरकार उठाती है.
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इसके अलावा हिमाचल प्रदेश में भी मुख्यमंत्री सुखाश्रय योजना के तहत अनाथ बच्चों की देखभाल की जाती है और उनका खर्च उठाया जाता है. इन बच्चों को सरकार हर महीने 4000 रुपये देती है. असम में भी कोविड महामारी के दौरान अनाथ हुए बच्चों के लिए राज्य सरकार योजना चलाती है. जिसके तहत उन्हें हर महीने 3500 रुपये दिए जाते हैं.
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