Notice Period Rules: भारत में जितने भी नौकरीपेशा लोग है सभी नोटिस पीरियड के टर्म से वाकिफ होंगे. कोई भी नौकरी कर रहा इंसान जब एक नौकरी छोड़कर दूसरी नौकरी ज्वाइन करने जा रहा होता है. तो उस दौरान उसे नोटिस पीरियड सर्व करना होता है. अलग-अलग कंपनियों में नोटिस पीरियड को लेकर अलग-अलग नियम तय किए गए होते हैं. किसी कंपनी में नोटिस पीरियड 1 महीने का होता है.
तो किसी कंपनी में 3 महीने का. कई बार एम्पलाई बिना नेटिस पीरियड सर्व किए ही दूसरी नौकरी ज्वाइन कर लेते हैं. तो ऐसे में पिछली कंपनी से उन्हें लिविंग लेटर्स और बाकी के दस्तावेजों को हासिल करने में दिक्कत होती है. क्या कोई कंपनी किसी कर्मचारी को नोटिस पीरियड सर्वे करने के लिए मजबूर कर सकती है. चलिए आपको बताते हैं इसे लेकर क्या कहते हैं कानून.
क्या हैं नोटिस पीरियड को लेकर नियम?
लगभग हर कंपनी द्वारा कर्मचारियों को जब नियुक्त किया जाता है. तब उनसे कुछ दस्तावेज साइन करवाए जाते हैं. जिनमें नोटिस पीरियड को भी लेकर जिक्र होता है. अलग-अलग कंपिनयों में नोटिस पीरियड के दिन अलग-अलग होते हैं. किसी कंपनी में 30 दिन तो किसी में 90 दिन का नोटिस पीरियड होता है. कंपनियों द्वारा नोटिस पीरियड का नियम इसके लिए लागू किया जाता है. ताकि कोई कर्मचारी अगर नौकरी छोड़कर जाए तो नोटिस पीरियड के दौरान कंपनी उस कर्मचारी का दूसरा विकल्प खोज सके. ताकि कंपनी का काम कर्मचारी के नौकरी छोड़ने से प्रभावित न हो.
क्या कंपनी मजबूर कर सकती है सर्व करने के लिए?
सामान्य तौर पर जब कोई कर्मचारी किसी कंपनी को ज्वाइन करता है. तो उसे कंपनी से जुड़े कुछ नियम और निर्देशों का पालन करना होता है. इसके लिए कर्मचारी दस्तावेजों पर साइन भी करता है. इसमें नोटिस पीरियड को लेकर के भी नियम तय किए गए होते हैं. जो कर्मचारी को मानने होते हैं. लेकिन कोई भी कंपनी कर्मचारी को नोटिस पीरियड सर्व करने के लिए मजबूर नहीं कर सकती. सामान्य तौर पर जब कोई कर्मचारी कॉन्ट्रैक्ट साइन करता है. तो उस पर नोटिस पीरियड सर्व नहीं करने के बारे में भी कुछ शर्तें लिखी होती हैं.
नोटिस पीरियड सर्व नहीं करने पर क्या होता है?
नोटिस पीरियड सर्व नहीं करने के लिए भी कई नियम होते हैं. अगर कोई कंपनी किसी कर्मचारी को जल्दी ज्वाइन करवाना चाहती है. तो वह पहली कंपनी से नोटिय पीरियड बाय आउट कर लेती है यानी वह पैसों से उसका सेटलमेंट कर लेती है. या फिर कर्मचारी नोटिस पीरियड के बदले अपनी छुट्टियां एडजस्ट करवा सकता है. जिसमें अर्न्ड लीव और सिक लीव शामिल होती हैं.
यह भी पढ़ें: शादी करने पर किस राज्य में मिलते हैं सबसे ज्यादा पैसे? इन लोगों को मिलता है लाभ