Old Tax Regime Vs New Tax Regime: भारत में फिलहाल दो टैक्स रिजीम है. एक नई और एक पुरानी. साल 2020 में भारत सरकार ने नई टैक्स रिजीम जारी की थी. वहीं अगर बात की जाए तो अभी भी ज्यादातर लोग पुरानी टैक्स रिजीम के तहत ही इनकम टैक्स रिटर्न भर रहे हैं. भारत में कुल 8.18 करोड़ से ज्यादा लोग इनकम टैक्स रिटर्न भरते हैं. जिनमें से 85 फ़ीसदी लोग अभी भी पुरानी टैक्स रिजीम को ही इस्तेमाल कर रहे हैं. आपके लिए कौन सी टैक्स व्यवस्था बेहतर है.
इसे जानने के लिए आप ऑनलाइन टैक्स कैलकुलेटर का इस्तेमाल कर सकते हैं और दोनों टैक्स रिजीम को तुलनात्मक स्तर पर देखकर सिलेक्ट कर सकते हैं. क्योंकि किराया काफी लोग देते हैं. सभी लोग पीएफ में पैसे कटवाते हैं. लगभग सबके पास स्वास्थ्य बीमा होता है. बच्चों की ट्यूशन फीस भरनी होती है. होम लोन होता है और कई तरह के डिडक्शन होते हैं. इसीलिए आपको यह देखना चाहिए कि आपको किस व्यवस्था के तहत कम टैक्स देना पड़ेगा.
आपने घबराना बिल्कुल नहीं है
नॉर्मली नए टैक्स जब आते हैं तो लोग घबरा जाते हैं. लेकिन अगर आप सही प्लानिंग करके चलते हैं. तो दिक्कत नहीं होती. हमेशा अपने लॉन्ग टर्म इन्वेस्टमेंट गोल पर ध्यान रखें. अगर आपके गोल अचीव नहीं हुए हैं. तो इन्वेस्टमेंट जारी रखें उसे रोक नहीं. लेकिन अगर आप बिना किसी प्लानिंग के इन्वेस्टमेंट कर रहे हैं और एकदम से मार्केट में बदलाव आता है. उससे आप परेशान हो जाते हैं. तो फिर आपको जरूरत है कि आप एक बार अपने इन्वेस्टमेंट प्लान पर अच्छे से ध्यान दें.
फ्यूचर एंड ऑप्शन ट्रेडिंग पर ध्यान दें
फ्यूचर एंड ऑप्शन ट्रेडिंग को लेके काफी लोगों ने कई सारी बातें कही हैं. इसे लेकर सेबी की प्रमुख माधवी पुरी बुच ने कहा है कि ' निवेशकों की सुरक्षा का यह छोटा नहीं बल्कि एक बड़ा मुद्दा है.' तो वही इसे लेकर चीफ इकोनामिक एडवाइजर व्ही. अनंत नागेश्वरन कहते हैं कि 'ज्यादा मुनाफे की सोच लोगों में जुए की लत लगा देती है.' लेकिन बहुत से रिटेल ट्रेडर्स को इसमें फायदा नहीं होता.
बजट में फ्यूचर और ऑप्शंस ट्रेडिंग पर टैक्स दर 0.2% और 0.1% तक बढ़ा दी गई है. यह समय है कि रिटेल ट्रेडर्स फ्यूचर और ऑप्शन ट्रेडिंग को लेकर काफी अच्छे से सोच विचार करें. क्योंकि पैसे कमाना लंबी प्रक्रिया है. इसीलिए रिटेल ट्रेडर्स को जल्द मुनाफा कमाने के बजाय अपने इन्वेस्टमेंट प्लांस पर फोकस करना चाहिए.
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इक्विटी में करें निवेश
इक्विटी में निवेश पर टैक्स बढ़ा दिया है. अगर कोई 1 साल से कम समय के लिए निवेश करता है तो उस पर 20% और 1 साल से ज्यादा के निवेश पर 12.15% टैक्स लगेगा. इससे इक्विटी में निवेश को लेकर लोगों को थोड़ा झटका जरूर लगा है. लेकिन फिर भी इक्विटी में निवेश करना एक बेहतरीन ऑप्शन हो सकता है.
बैंक बाजार के एसोसिएट वाइस प्रेसिडेंट ए आर हेमंत के मुताबिक यहां आप लंबे टाइम के लिए निवेश कर सकते हैं. अपने पेंशन फंड के लिए, अपने बच्चों की पढ़ाई के लिए या फिर और किसी फ्यूचर प्लानिंग के लिए. आप डायवर्सिफाइड इक्विटी फंड जैसे निफ्टी 50 इंडेक्स फंड में एसाईपी करके एक अच्छा इन्वेस्टमेंट प्लान तैयार कर सकते हैं.
डेट फंड
अब जब टैक्स बढ़ रहा है तो फिर आपको टैक्स कम करने के अलग-अलग तरीके ढूंढ़ने होंगे. आपको बैंक डिपॉजिट पर सबसे ज्यादा टैक्स देना होता है. एफडी से भी आपको जो इनकम होती है. उस पर भी टैक्स लगता है. इसीलिए आप डेट म्युचुअल फंड्स में इन्वेस्टमेंट कर सकते हैं. टैक्स के मामले में म्युचुअल फंड्स और एफडी बराबर ही है.
लेकिन इसमें आपको रिडेंप्शन से पहले टीडीएस नहीं देना होगा. इससे आप टैक्स की देनदारी को टाल सकते हैं. इस समय ब्याज दर है काफी हाई लेवल पर है इसीलिए आप मनी मार्केट फंड और लिक्विड फंड में इन्वेस्टमेंट करने के लिए सोच सकते हैं. जो आपको रिटर्न कम देंगे लेकिन ठीक लिक्विडिटी होगी और आपका पैसा सेफ रहेगा.
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प्रॉपर्टी इन्वेस्ट में ध्यान दें
रियल स्टेट होल्डिंग अगर आप 24 महीने से ज्यादा तक रखते हैं. तो वह आपका लॉन्ग टर्म एसेट बन जाता है. जिसमें आपको 12.5% टैक्स देना होता है. जो कि पिछले वाले 20% से कम है. लेकिन अगर आप ज्यादा देर तक रियल स्टेट होल्डिंग रखते हैं. तो आपको बाद में ज्यादा टैक्स देना पड़ सकता है. कैसे चलिए उदाहरण के तौर पर समझाते हैं, मान लीजिए अपने अगस्त 2008 -09 में 40 लाख रुपये का एक घर खरीदा और अगस्त 2024-25 में इसे एक करोड़ रुपये का बेचा.
पुराने नियमों के मुताबिक आपको इस पर 5.98 लाख रुपये का कैपिटल लॉस होता और आपको कोई टैक्स नहीं देना होता. लेकिन नए नियमों के मुताबिक आपको 60 लाख के फायदे पर 12.5% टैक्स यानी 7.8 लाख (4% सेस सहित) रुपये देने होंगे. अगर आपकी इनकम 50 लाख रुपये से ज्यादा है. तो आपको सर चार्ज भी देना होगा. लेकिन आप इनकम टैक्स की धारा 54 के तहत प्रॉपर्टी बेचकर हुई अपनी आय को दूसरी प्रॉपर्टी में निवेश करते हैं. तो आपको टेक्स्ट में छूट मिल जाती है.
सोने में निवेश
कस्टम ड्यूटी में कटौती होने की वजह से अब लोग सोने को खरीदने की ओर फिर से काफी रुझान दिख रहे हैं. लंबी अवधि तक अगर आप गोल्ड ऐसेट रखते हैं. तो रियल स्टेट की तरह यहां भी आपको 12.5% टैक्स चुकाना होगा. दुनिया भर में सेंट्रलाइज्ड बैंक सोने को इकट्ठा कर रहे हैं.
इसी वजह से पिछले 5 सालों में इसके दाम काफी तेजी से बढ़ रहे हैं.इसमें इक्विटी के बराबर रिटर्न मिल रहा है. मार्केट में जहां अनिश्चित बनी रहती है. वहां सोना एक बेहतरीन ऑप्शन बनकर सामने आया है. अगर आप एक सही अनुपात में अपने पोर्टफोलियो में सोने की इन्वेस्टमेंट को शामिल करते हैं तो फायदा हो सकता है.
बीमा पर दें ध्यान
अगर आप नई टैक्स रिजीम को अपनाते हैं. तो फिर आप लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी और मेडिकल इंश्योरेंस पॉलिसी में मिलने वाली छूट का लाभ नहीं ले पाएंगे. लेकिन सिर्फ इसी वजह से आप मेडिकल इंश्योरेंस और लाइफ इंश्योरेंस न लेने के बारे में बिल्कुल भी ना सोचें. क्योंकि बीमारी से बचना और स्वास्थ्य आपकी फाइनेंशियल सिक्योरिटी से ज्यादा जरूरी होने चाहिए. अगर आपके परिवार वाले आप पर फाइनेंशियली निर्भर हैं. तो फिर आप एक टर्म प्लान जरूर लें. और फैमिली के सभी सदस्यों के लिए एक हेल्थ पॉलिसी भी जरूर लें.
क्या है बैंक बाजार?
बता दें कि बैंक बाजार एक व्यक्तिगत फाइनेंस मैनेजमेंट ऐप है, जो आपके मंथली खर्चों को खुद-ब-खुद ट्रैक करता है. ट्रैकिंग का यह तरीका एकदम सेफ होता है. इसके अलावा अगर आप कोई गलत लेन-देन करते हैं या किसी पेमेंट पर आपको जुर्माना देना पड़ता है तो यह ऐप यूजर को जानकारी भी देता है.
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