OTP Based Fraud: किसी भी डिजिटल पेमेंट के लिए आमतौर पर हमें ओटीपी डालना होता है, ये एक वेरिफिकेशन सिस्टम है. जिससे ये पता लगाया जाता है कि पेमेंट कौन कर रहा है, यानी रजिस्टर्ड नंबर वाला शख्स ही ओटीपी डालकर पेमेंट कर सकता है. हालांकि साइबर ठगों ने इसी ओटीपी के जरिए लाखों-करोड़ों रुपये लोगों से ठगे हैं. इसके लिए साइबर क्रिमिनल अलग-अलग तरीकों का इस्तेमाल करते हैं और लोगों की मेहनत की कमाई को साफ कर लेते हैं. यही वजह है कि अब आरबीआई की तरफ से ओटीपी को रिप्लेस करने की तैयारी हो रही है. आज हम आपको बताएंगे कि ओटीपी से हर साल कितने फ्रॉड हो रहे हैं. 


हर साल आते हैं इतने मामले
भारत में साइबर क्राइम के मामलों में लगातार बढ़ोतरी देखी जा रही है, पिछले कुछ सालों में ऐसे लाखों मामले सामने आए हैं. जिनमें ऑनलाइन ही लोगों के साथ लाखों रुपये की ठगी कर ली जाती है, लोग समझ भी नहीं पाते हैं कि उनके साथ क्या हुआ. ओटीपी फ्रॉड की बात करें तो साल 2019 में इसके महज 549 केस सामने आए थे, लेकिन एक साल बाद 2020 में ये मामले लगभग दोगुने हो गए. इसके बाद साल 2021 में एक हजार से केस दो हजार के पार हो गए. एक्सपर्ट्स का कहना है कि ये वो मामले हैं, जिन्हें रिपोर्ट किया गया. हर साल ओटीपी के जरिए हजारों लोगों को लूटा जाता है. 


ओटीपी सिस्टम को बदलने की तैयारी
अब ओटीपी वेरिफिकेशन सिस्टम को जल्द बदला जा सकता है, बताया जा रहा है कि रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया इसे बदलने की तैयारी कर रहा है. इसकी जगह कोई ऐसा वेरिफिकेशन सिस्टम होगा, जिसे कोई भी दूसरा इस्तेमाल नहीं कर सकता है. यानी कोई भी आपसे ओटीपी नहीं पूछ सकता है या फिर सिम क्लोन करके आपके साथ फ्रॉड नहीं होगा. इससे आम लोगों को काफी सहूलियत मिलेगी और डिजिटल पेमेंट पहले की तुलना में काफी सेफ हो जाएगी. 


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