देश के करोड़ों लोगों की सुरक्षा के लिए तमाम तरह की फोर्स होती हैं, सेना और बाकी केंद्रीय बल सीमाओं की सुरक्षा करते हैं, वहीं पुलिस राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में तैनात रहती है. पुलिस का काम क्राइम को रोकना और अपराधियों को जेल तक पहुंचाने का होता है. हालांकि कई बार ऐसा देखा गया है कि वर्दी पहने हुए पुलिसकर्मी लोगों से बदसलूकी करते हैं और मारपीट तक कर लेते हैं. ऐसे वीडियो आपने अक्सर देखे होंगे, जिनमें पुलिसकर्मी अपना आपा खोकर किसी शख्स को कई थप्पड़ मारते हुए दिखते हैं. अगर आपके साथ भी ऐसा होता है तो आप क्या कर सकते हैं? 


पुलिसकर्मी के खिलाफ करें शिकायत
अगर कोई भी पुलिसकर्मी आपको धमकाता है या फिर थप्पड़ मार देता है तो आपके पास ये अधिकार होता है कि आप आरोपी पुलिसकर्मी के खिलाफ शिकायत करें... आप जागरुक नागरिक बनकर इसका विरोध कर सकते हैं. अगर आप पुलिस के साथ सहयोग कर रहे हैं तो पुलिस को आपको थप्पड़ मारने का अधिकार नहीं है. 


कहां होगी सुनवाई?
सड़क, पुलिस स्टेशन या किसी बाजार में अगर पुलिसकर्मी आपको किसी चीज की वजह से रोकते हैं तो इस दौरान वो हिंसक नहीं हो सकते हैं. बशर्ते आप कर्फ्यू के नियमों का उल्लंघन, भागने की कोशिश, हिंसक विरोध प्रदर्शन ना कर रहे हों, लेकिन अगर बिना वजह पुलिस आपके ऊपर हाथ उठाती है तो आप इसकी शिकायत नजदीकी पुलिस स्टेशन जाकर कर सकते हैं. अब आप सोच रहे होंगे कि पुलिस अपने ही कर्मचारी या अधिकारी के खिलाफ केस दर्ज क्यों करेगी? इसीलिए अगर पुलिस थाने में केस दर्ज नहीं होता है तो आप डीसीपी या एसपी दफ्तर में जा सकते हैं. आप राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग में भी शिकायत कर सकते हैं. 


जब आप एसपी या किसी बड़े पुलिस अधिकारी के दफ्तर में शिकायत करने जाएं तो आप हाथापाई के अलावा पुलिस स्टेशन में एफआईआर नहीं लिखने की भी शिकायत करें. धारा 166ए के तहत एफआईआर दर्ज करने से मना करना अपराध है, इसमें तीन साल तक की जेल हो सकती है. धारा-46 के तहत कोई भी पुलिसवाला आपको पीट नहीं सकता है या थप्पड़ नहीं मार सकता है. वहीं आर्टिकल 21 के तहत आपको गरिमा के साथ जीने का अधिकार है, ऐसे में कोई भी आपको बेवजह नहीं मार सकता है और नुकसान नहीं पहुंचा सकता है.


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