Railway: रेलवे के खर्च पर लगाम लगाता है PREM ग्रुप, उत्तर मध्य रेलवे की बैठक में नई भर्ती को लेकर आए सुझाव
PREM Group Meeting: प्रेम (PREM) रेलवे के खर्च पर लगाम लगाने के लिए विभिन्न बैठकें और सुझाव आमंत्रित करता है, उत्तर मध्य रेलवे की बैठक में प्रेम ग्रुप के सदस्यों ने यह सुझाव साझा किये हैं.
North Central Railway: रेलवे के खर्च को नियंत्रण करने के लिए PREM (Participation Of Railway Employees In the Management) ग्रुप मुख्य रूप से रेलवे के खर्च को नियंत्रण करने का कार्य करता है. हाल ही में हुई उसकी ठक में कई सारे सुझाव आए हैं. जिनमें रिक्तियों पर नई भर्ती का सुझाव आम आदमी से जुड़ा हुआ है. यह भर्तियां समय से आयोजित होती हैं तो निश्चित ही युवाओं को इससे फायदा मिलेगा. वहीं इन भर्तियों के पूरे होने से रेलवे को भी बहुत बड़ा फायदा होने वाला है. जी हां, इन भर्तियों के चलते रेलवे के कर्मचारियों का ओवरटाइम और यात्रा भत्ते का खर्च बच सकता है. उत्तर मध्यम रेलवे मुख्यालय में हाल ही में व्यय नियंत्रण- तरीके और साधन विषय पर महाप्रबंधक प्रमोद कुमार की अध्यक्षता में बैठक आयोजित की थी. आइये जानते हैं इस बैठक में क्या क्या सुझाव आए?
‘रिक्तियों को प्राथमिकता के आधार पर भरा जाए’
बैठक में एनसीआरईएस सचिव आरपी सिंह ने कहा कि विभिन्न संवर्गों में रिक्तियों को प्राथमिकता के आधार पर भरा जाना चाहिए. इससे ओवरटाइम और यात्रा भत्ते पर होने वाले खर्च में कमी आएगी. यहां इसके पालन से युवाओं को नौकरियां भी मिलेंगी. एनसीआरएमयू के अध्यक्ष शिव गोपाल मिश्रा ने गैर-लाभकारी रेलवे लाइनों पर इन्वेंट्री नियंत्रण और समीक्षा की आवश्यकता पर जोर दिया. एनसीआरईएस अध्यक्ष वीजी गौतम ने सुझाव दिया कि एक संभावित योजना बनाई जानी चाहिए. ताकि एक संपत्ति पर निवेश की प्रकृति में दोहराव की आवश्यकता न हो.
कर्मचारी की बुनियादी जरूरतें न की जाएं कम
बैठक में एनसीआरएमयू के अध्यक्ष शिव गोपाल मिश्रा ने गैर-लाभकारी रेलवे लाइनों पर इन्वेंट्री नियंत्रण और समीक्षा की आवश्यकता पर जोर दिया. उन्होंने कहा कि कर्मचारियों की बुनियादी जरूरतों को कम करके किसी भी व्यय नियंत्रण का प्रयोग नहीं किया जाना चाहिए. चाहे वे नियमित हों या संविदात्मक. यहां रेलवे अधिकारी संघ के अध्यक्ष और अपर महाप्रबंधक रंजन यादव ने कहा कि नवीनतम तकनीक पर आधारित लागत प्रभावी समाधान काफी काम का है. इससे राजस्व भी बढ़ चढ़कर आता है. जबकि व्यर्थ के खर्चे खत्म हो जाते हैं.
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