Indian Railway News: ट्रेनों के हादसे रोकने और सुगम संचालन व्यवस्था के लिए भारतीय रेलवे कवच सिस्टम को देशभर में इंस्टॉल करने की योजना बना चुका है. मार्च महीने में रेलमंत्री अश्विनी वैष्णव व रेलवे बोर्ड के चेयरमान वीके त्रिपाठी इस कवच सिस्टम का तकनीकी परीक्षण कर चुके हैं. इसके बाद इस प्रणाली को दिल्ली-हावड़ा और दिल्ली-मुंबई रूट पर सबसे पहले लगाने का फैसला लिया गया है. इसके इंस्टॉल होने से ट्रेन आपस में टकराएंगी नहीं. दिल्ली-हावड़ा रूट का आधा हिस्सा प्रयागराज मंडल से गुजरता है. इसीलिए प्रयागराज मंडल ने साढ़े 300 करोड़ रुपये खर्च कर यह उपकरण लगवा रहा है. हम आपको बता रहे हैं कि आखिर यह तकनीक काम कैसे करती है. जिससे यात्रियों के सुरक्षा मानक और भी बेहतर हो जाएंगे.
क्या है कवच सिस्टम?
रिसर्च डिजाइन एंड स्टैंडर्ड ऑर्गनाइजेशन ने कवच तकनीक को विकसित किया है. खास बात यह है कि यह सिस्टम मेक इन इंडिया के तहत तैयार हुआ है. रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन के जरिए ट्रेनों का संचालन किया जाता है. इस सिस्टम का एक भाग रेलवे स्टेशन और दूसरा भाग ट्रेन के इंजन में लगाया जाता है. यह मालगाड़ी और यात्री ट्रेनों दोनों में लगाया जाएगा. अगर ट्रेन के गुजरने की अनुमति नहीं है तो सिग्नल तुरंत इसकी पहचान कर लेता है. ऐसे में अन्य ट्रेनों को खतरे का सिग्नल मिल जाता है. जबकि अगर लोको पायलेट भी ट्रेन को रोक नहीं पा रहा है तो यही तकनीक ऑटोमैटिक ट्रेन में ब्रेक लगा देती है. ऐसे में ट्रेन हादसा होने की संभावना शून्य हो जाती है.
महाकुंभ से पहले प्रयागराज मंडल में तकनीक हो जाएगी इंस्टॉल
साढ़े 300 करोड़ रुपये खर्च कर प्रयागराज मंडल इस तकनीक को जल्द से जल्द इंस्टॉल करना चाहता है. क्योंकि 2025 मे प्रयागराज में महाकुंभ का आयोजन होगा. महाकुंभ में लाखों की संख्या में पहुंचते हैं. इनके आवागमन से पहले प्रयागराज मंडल चाहता है कि उनके क्षेत्र में हादसों की संभावना बिल्कुल खत्म हो जाए. प्रयागराज मंडल ने पहले चरण का टेंडर करनेक्स-केईसी कंस्ट्रक्शन को जारी कर दिया है.
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