Railway: ई-ऑक्शन से रेलवे का झांसी मंडल उठा रहा लाभ, ई-नीलामी में रखते हैं दिलचस्पी तो आपके लिए यह काम की खबर है
Jhansi Mandal E-Auction News: रेलवे का झांडी मंडल ई-ऑक्शन के जरिए मुनाफा कमा रहा है। नीलामी प्रक्रिया ऑनलाइन होने से जहां एक ओर नए-नए बिडर सामने आ रहे हैं. बिडर सरल प्रक्रिया से ठेका भी उठा रहे हैं
Railway News: भारतीय रेलवे का झांसी मंडल यात्रियों को बेहतरीन सेवा देने के साथ-साथ राजस्व इकट्ठा करने में भी भी एक कदम आगे चल रहा है. झांसी मंडल का नया ई-ऑक्शन मॉडल से जहां रेलवे की आय बढ़ी हैं, वहीं इंटरनेट की दुनिया में दूर-सुदूर बैठे लोग नीलामी से ठेके उठा रहे हैं. महीनों तक चलने वाली ठेका प्रक्रिया सिमट कर सीमित दिनों में हो गई है तो ऐसे में नए-नए बिडर भी सामने आने लगे हैं. अगर आप भी नीलामी में दिलचस्पी रखते हैं तो यह आर्टिकल बताएगा कि कैसे रेलवे में ई-ऑक्शन प्रक्रिया सरल होने लगी है.
34 आय श्रोत संपत्ति डाली सार्वजनिक डोमेन में
झांसी मंडल हाल ही में अपने 389 प्रकार की संपत्तियों में से कुल 34 आय श्रोत संपत्ति को सार्वजनिक डोमेन में ई-ऑक्शन के लिए खोल दिया है. इस योजना का उद्देश्य नॉन फेयर रेवेन्यू और निविदाओं की प्रक्रिया को सरल बनाना है. सामान्य तौर पर अब तक ऑफलाइन टेंडर प्रक्रिया में अनुमोदन, निविदा अधिसूचना के प्रकाशन से लेकर अनुबंध की अंतिम प्रक्रिया तक पूरा होने में लगभग 2-4 महीने लगते हैं. वहां ई-नीलामी मॉडल के जरिए यह पूरी प्रक्रिया एक ही दिन में संभव है. क्योंकि ऑफलाइन नीलामी अब ऑनलाइन नीलामी पोर्टल में बदल गई है. ऑफलाइन नीलामी में पूर्व पार्किंग स्थल के ठेके, भुगतान और उपयोग शौचालय, रेलवे स्टेशनों पर विज्ञापन, प्रचार, ट्रेनों में पार्सल स्पेस लीजिंग, रेलवे भूमि पर एटीएम जैसे ठेकों के आवंटन प्रक्रिया में 2 से 4 महीने का समय लगता था. वहीं इससे राजस्व का भी नुकसान होता था. एक दिन में टेंडर स्वीकृत करने वाली मॉडल प्रक्रिया के चलते रेलवे को आय भी बढ़ गई है.
झांडी मंडल ने इन टेंडरों से कमाए लाखों रुपये
झाँसी मंडल ने वाणिज्य प्रचार के 15 ठेके उठाए हैं. जिनमें से 04 ठेकों में कभी कोई निविदा ही नहीं डाली गई. पार्किंग के 04 ठेके, पे एंड यूज टॉयलेट के 05 ठेके सहित कुल 24 ठेके भी आवंटित किए गए हैं | वाणिज्य प्रचार के 15 ठेकों से सालाना 51 लाख तथा कुल ठेका अवधि में 1.53 करोड़, पार्किंग के 04 ठेके से सालाना 1.16 करोड़ तथा कुल ठेका अवधि में 5.63 करोड़, पे एंड यूज टॉयलेट के 05 ठेके से सालाना 33 लाख तथा कुल ठेका अवधि में 73.78 लाख रुपये रेलवे के राजस्व को बढ़ाते हैं.
ई-ऑक्शन के यह हैं लाभ
ई-नीलामी मॉडल में जल्दी खानपान के स्टॉल और अन्य अनुबंध भी शामिल किए जाएंगे. इसके मुख्य लाभ तेज और कुशल अनुबंध पूरी पारदर्शिता को बयां करता है. क्योंकि उच्चतम बोली लगाने वाले को कंप्यूटरीकृत आवंटन, कागजी प्रक्रिया में कमी, कम कार्य, कहीं से भी अखिल भारतीय नीलामी में भाग लेने का अवसर है यह मॉडल देता है.
पहले की अपेक्षा बढ़े बिडर
ई-ऑक्शन का वास्तविक उद्देश्य बड़े और छोटे उद्यमियों तक व्यावसायिक अवसरों को ले जाना है. ऐसे में नए-नए बिडर भी सामने आने लगे हैं. जबकि इनकी संख्या में भी इजाफा होने लगा है. टेंडर प्रक्रिया के सरल होने पर रेलवे तथा पार्टी दोनों को लाभ मिल रहा है.
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