Sim Port: सिम पोर्ट कराते वक्त इन बातों का रखें ध्यान, नहीं तो हाथ से धो बैठेंगे सालों पुराना नंबर
मोबाइल में नेटवर्क की समस्या आजकल हर जगह आम है, ऐसे में हर शख्स बेहतर नेटवर्क प्रोवाइडर चुनना चाहता है, और इसका सबसे आसान तरीका है सिम को पोर्ट करवाना, आइए इससे जुड़ी कुछ खास बातें आपको बताते हैं.
Sim Port: मोबाइल सिम पोर्ट एक ऐसी व्यवस्था है जिसमें आप अपना नंबर बदले बिना ही अपना ऑपरेटर बदल सकते हैं. कहने का मतलब ये है कि आप अपना नंबर बदले बिना ही दूसरी कंपनी की सिम में इसे पोर्ट करवा सकते हैं. भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण (Telecom Regulatory Authority of India) ने 23 सितंबर 2009 को मोबाइल सिम पोर्ट करने की व्यवस्था को शुरू किया था. ऐसे में सिम पोर्ट करवाने से पहले आपको कुछ चीजों का ख्याल रखना होगा, जिससे कि आप अपना नंबर खोने से बच जाएं. अगर आप इन बातों का ख्याल नहीं रखते हैं, तो आप अपना सालों पुराने नंबर से हाथ धो बैठेंगे. आइए आपको बताते हैं, क्या है वे जरूरी बातें.
क्यों किया जाता है नेटवर्क पोर्ट
इन दिनों नेटवर्क की समस्या एक दम आम समस्या है, आपने कई सारे लोग ऐसे देखे होंगे जो नेटवर्क की समस्या के चलते अपना ऑपरेटर बदल लेते होंगे, इसे टेलीकॉम की भाषा में सिम पोर्ट करना कहते हैं. ऐसे में जब भी नेटवर्क नहीं आते या फिर ओटीपी प्राप्त नहीं हो पाता है तो कस्टमर अपना सिम ऑपरेटर बदलने का सोचता है. ऐसे में क्या आपको पता है कि सिम पोर्ट करवाना कितना आसान है. आइए आपको इससे जुड़ी हुई कुछ खास बातें बताते हैं.
नंबर पोर्ट कराने के लिए सबसे पहले PORT लिखकर स्पेस दें और फिर उस नंबर को टाइप करें, जिसे आपको पोर्ट करवाना है.
जैसे PORT <9000000000> मैसेज लिखकर आपको 1900 पर भेजना है.
SMS भेजने के बाद, आपको अपने वर्तमान मोबाइल ऑपरेटर से 8 अंकों का UPC (यूनिक पोर्टिंग नंबर) प्राप्त होगा.
यह यूपीसी 4 दिनों के अंदर खत्म हो जाता है.
जम्मू और कश्मीर, उत्तर पूर्व और असम में यह 30 दिनों के लिए वैलिड रहता है.
आवेदन चार दिनों के भीतर नए ऑपरेटर को देना अनिवार्य होता है.
इसके बदले आपको अपने नए सर्विस प्रोवाइडर के स्टोर पर जाना होता है. इसके साथ आपको आधार कार्ड या फिर किसा आइडेंटिटी की जरूरत पड़ती है.
नया ऑपरेटर पुराने ऑपरेटर को यह देखने के लिए एक आवेदन भेजेगा कि आपके नंबर के साथ कोई बकाया राशि या समस्या तो नहीं है.
एक बार वेरिफिकेशन प्रोसेस पूरी हो जाने के बाद, पुराना ऑपरेटर नए ऑपरेटर को एमएनपी आवेदन की अस्वीकृति/अनुमोदन स्टेटस के बारे में इंफॉर्मेशन दे देगा.
इसके बाद अन्य प्रोसेस किए जाएंगे, जिसकी जानकारी आपको ऑपरेटर देता रहेगा.
पहले इन सब प्रक्रियाओं में करीब 7 दिन लगा करते थे, लेकिन अब यह मात्र 2 से 3 दिनों में पूरा हो जाता है.
इसके लिए अब आपको कहीं जाने की भी जरूरत नहीं होती है.
सिम पोर्ट की सुविधा को सिम ऑपरेटर ने आजकल घर बैठे देना ही शुरू कर दिया है.
इन स्थितियों में आपका आवेदन हो सकता है रिजेक्ट
अगर कस्टमर दिए गए समय में मोबाइल बिल का भुगतान करने में असमर्थ रहता है.
अगर ग्राहक ने पुराने ऑपरेटर का कम से कम 90 दिनों तक इस्तेमाल ना किया हो.
मोबाइल नंबर पर किसी प्रकार का कोई आपराधिक मामला हो.
जिस ऑपरेटर को आप चुनने जा रहे हैं, वह आपके शहर की सेवा में ही ना हो
यूपीसी का मेल नहीं खाना
यदि मोबाइल नंबर किसी फर्म या संस्था के नाम पर रजिस्टर्ड हो.